RBI और केन्द्र सरकार के बीच स्वायत्तता को लेकर छिड़ी जंग के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ-IMF) ने कहा है कि वह भारत में जारी विवाद पर नजर बनाए हुए है।
आईएमएफ ने कहा कि उसने दुनियाभर में ऐसी सभी कोशिशों का विरोध किया है जहां केन्द्रीय बैंकों की स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश की गई है।
आईएमएफ के कम्युनिकेशन डायरेक्टर गेरी राइस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय बैंकों के काम में किसी तरह का दखल न देना सबसे आदर्श स्थिति है। राइस के मुताबिक दुनिया के अधिकांश देशों में इसी स्थिति में केन्द्रीय बैंक काम कर रहे हैं।
भारत में जारी जंग पर राइस ने कहा कि केन्द्र सरकार को इस विवाद से पीछे हटने की जरूरत है क्योंकि आईएमएफ का मानना है कि केन्द्रीय बैंक और सरकार के बीच जिम्मेदारी और जवाबदेही को स्पष्ट रखने की जरूरत है। यह स्थिति दुनिया के सभी देशों के लिए मान्य है कि केन्द्रीय बैंक या वित्तीय नियंत्रकों को अपना काम करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।
वहीं भारत में उपजे विवाद और हाल में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल बैंक की कड़ी आलोचना किए जाने के सवाल पर राइस ने कहा कि सभी मामलों में उनका एक ही जवाब है कि दुनिया के किसी देश को केन्द्रीय बैंक के कामकाज में दखल नही देना चाहिए।
गौरतलब है कि देश में आरबीआई और केन्द्र सरकार के बीच तनातनी का मामला तब सामने आया जब केन्द्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बीते हफ्ते कहा कि केन्द्रीय बैंक के कामकाज में दखल देना देश के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।
विरल आचार्य के इस बयान के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई पर आरोप लगाया कि 2008 से 2014 तक केन्द्रीय बैंक ने कर्ज बांटने के काम की अनदेखी की और देश के सामने गंभीर एनपीए समस्या खड़ी हो गई।
इन आरोप प्रत्यारोप के बीच यह भी तथ्य सामने आया कि बीचे कुछ दिनों में केन्द्र सरकार ने आरबीआई एक्ट में प्रस्तावित सेक्शन 7 का सहारा लेते हुए केन्द्रीय बैंक से संवाद किया।
गौरतलब है कि सेक्शन 7 केन्द्र सरकार को आरबीआई की तुलना में अधिक शक्ति देता है। हालांकि आजादी के बाद से कितनी भी गंभीर आर्थिक स्थिति रही हो इस सेक्शन का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया।