आर्मी चीफ बिपिन रावत ने जवानों के स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर...

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने जवानों के स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर जारी की गाइडलाइन।

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जवान सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें, लेकिन अनुशासन के साथ: सेलफोन न रखने वाले आर्मी चीफ की सलाहरावत ने कहा- सीमापार आतंकवाद से लड़ने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि जवानों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा- जवानों को अनुशासन के साथ स्मार्टफोन के इस्तेमाल की इजाजत मिलनी चाहिए। रावत खुद कोई सेलफोन नहीं रखते हैं।

रावत ‘सोशल मीडिया और सशस्त्र सेनाएं’ विषय पर एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- सूचना और तकनीक के आधुनिक युग में सेना को सोशल मीडिया का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने की जरूरत है। सोशल मीडिया हमारी सोच से ज्यादा तेजी से बढ़ा। अगर हम इसकी रफ्तार के साथ नहीं चल पाए तो पीछे छूट जाएंगे।

जवान या उसके परिवार को स्मार्ट फोन से दूर नहीं रख सकते : आर्मी चीफ ने कहा- सूचना देश की ताकत का एक अहम स्तंभ है। किसी भी हालत में सशस्त्र सेनाओं को इससे दूर नहीं रखा जा सकता। हमें ये सलाह मिली कि हमारे जवानों को सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए।

क्या आप किसी जवान को स्मार्ट फोन रखने से मना कर सकते हैं? क्या आप घर पर किसी जवान को स्मार्ट फोन रखने या उसकी फैमिली को ऐसा करने से रोक सकते हैं? अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो बेहतर है कि उसका इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी जाए।

ताकत बढ़ाने में हो इस्तेमाल : रावत ने कहा, “सोशल मीडिया यहां रहने वाला है। जवानों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए। हमारे विरोधी सोशल मीडिया का इस्तेमाल मनौवैज्ञानिक लड़ाई और धोखेबाजी के लिए कर रहे हैं।

हमें इसका फायदा अपनी ताकत बढ़ाने में करना चाहिए। छद्म युद्ध, सीमापार आतंकवाद से लड़ने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, इसका इस्तेमाल अनुशासन के दायरे में रहकर करना होगा।”

लोग नंबर मांगते हैं तो कोई भी नंबर दे देता हूं : उन्होंने कहा, “मैं सेलफोन नहीं रखता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि जवान भी इसका इस्तेमाल न करें। मेरे पास सेलफोन नहीं है और जब कोई मेरा मोबाइल नंबर मानता हूं तो मैं कोई भी नंबर उन्हें दे देता हूं।

अगर ये नंबर 11 हो जाते हैं तो मैं उनसे कहता हूं कि आखिरी नंबर हटा दो। लेकिन, सेना को सोशल मीडिया से जुड़ना चाहिए और इसका फायदा उठाना चाहिए।

आधुनिक समय में सूचना लड़ाई के दौरान अहम है। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात करते हैं। अगर हमें इसका इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए करना है तो हमें सोशल मीडिया से जुड़ना होगा।”

सैन्य अधिकारी के हनी ट्रैप में फंसने के बाद जारी की गई गाइडलाइंस : आईएसआई एजेंट ने एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को फेसबुक के जरिए हनीट्रैप में फंसाया था।

इसके बाद जवानों के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी बनाई गई। रक्षा मंत्रालय ने जवानों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि वॉट्सऐप, फेसबुक या किसी ऐसे प्लेटफॉर्म पर अपनी तस्वीर प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर न लगाएं।

सोशल मीडिया पर दिखने वाले विज्ञापनों को भी न क्लिक करें। आधिकारिक पहचान, रैंक, यूनिट या लोकेशन उजागर करने की भी मनाही थी। इसके अलावा अनजान शख्स की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।