एक बेहतरीन कदम। अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे
दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे कृषि दलालों के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष में भारत सरकार ने मंडी के दलालों को ऐसा तोहफा दिया है कि उनकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है, केंद्र ने पंजाब सरकार को निर्देशित किया है रबी की फसल को MSP पर खरीदने से पहले पंजाब के किसानों के जमीन का रिकॉर्ड सही करते हुए FCI को दे।
FCI जमीन के हिसाब से ही अनाज खरीदेगी और सीधे किसानों के खाते में जमा कर देगी। आदेश के बाद FCI किसी दलाल से अनाज नहीं खरीद सकती। धरना प्रदर्शन किसानों के लिए नहीं मोदी विरोध के लिए किया था। मोदी विरोध दलालों को महंगा पड़ेगा। सारे दलाल एक ही चोट से चित्त।
इतना ही नहीं अब पंजाब सरकार को किसानों की जोत का कागज FCI को देना होगा उसी के अनुसार उपज खरीदी जाएगी और पैसे सीधे किसानों के खातों में जमा किये जाएंगे। अब यूपी बिहार से सस्ता खरीद कर लूटने वाले गिरोह को भी गर्त में मिलाकर रही सही कसर पूरी कर दी है सरकार ने। इन सभी सुधारों के बाद money laundering के अंतिम गढ़ agriculture से भी काला पैसा बनाने और उपयोग करने का रास्ता बंद।
सारे बेईमान परेशान और हैरान हैं पाप का घड़ा भर गया है इनका : ये कहानी शुरू होती है भूषण पावर एंड स्टील के दिवालिया होने के बाद….। पहले कंपनी दिवालिया घोषित होने के बाद आप उससे पैसा वसूल नहीं कर सकते थे, क्यूँकी हिन्दुस्तान में कोई ऐसा कानून ही नहीं था कि कोई दिवालिया हो गया हो तो उससे कर्ज कैसे वसूल किया जाए ? अब तक ऐसा ही चलता था।
2014 में आयी NDA सरकार और बनाया गया…. NCLT (National Company Law Tribunal) यह बनने के बाद अब जो भी कंपनी दिवालिया होगी उसे NCLT में जाना ही पड़ेगा। वहां बोली लगेगी, कंपनी नीलाम की जाएगी और पैसे वसूल करके प्रोमोटर्स, (जैसे कि बैंकों) को दिए जायेंगे, जिससे बैंक्स का NPA बढ़ता न रहे।
भूषण पावर एंड स्टील और उसके मालिक संजय सिंघल की कंपनी १८ महीने पहले दिवालिया घोषित हो गई। इनके ऊपर PNB बैंक का 47,000 करोड़ रुपया बकाया था। नीलामी की बोली शुरू हो गई तो…. टाटास्टील, जिंदल और UK लिबर्टी हाउस ने बोली लगाई….. अब NCLT कोर्ट से फैसला आना है कि किस कंपनी की बोली स्वीकार की गई है, फिर उसी कंपनी को bhushan पावर दे दिया जायेगा और बैंक का कर्ज भी चुकता किया जायेगा.. इसका क्लाइमेक्स अब आया है, जब… भूषण स्टील एंड पावर के मालिक ने NCLT के सामने एक ऑफर रखा है कि हम बैंकों का 47,000 करोड़ का कर्ज चुका देंगे, आप हमारी कंपनी नीलाम मत करिये।
अब जनता को ये सोचना है कि ऐसे कितने उद्योगपतियों ने बैंकों का पैसा खाकर और दिवालिए होकर ऐश काटी है, खासतौर से पिछली एक खास परिवार की सरकारों के समय में। अब उन्हें लोन चुकाना ही होगा, और ये सब NDA सरकार के बनाये क़ानून और NCLT जैसी संस्था बनाने से संभव हुआ। इसीलिए मोदीजी कहते हैं कि “मैंने कांग्रेस के समय के loop holes (गड्ढे) भरे हैं” तो बिल्कुल अतिश्योक्ति नहीं लगती है।
लगभग यही कहानी रुइया ब्रदर्स, एस्सार स्टील वालों की भी है। उनका भी बैंक कर्ज चुकाने का मन नहीं था, दिवालिए हो गए। NCLT में लक्ष्मी मित्तल, मित्तल स्टील्स ने बोली लगा रखी है पर अब…. रुइया ब्रदर्स के पास 54, 000 करोड़ आ गया है और विनती कर रहे हैं कि हमारी कंपनी को हम ही खरीद लेते हैं। उसे नीलम मत करो और 54, 000 करोड़ भी हमसे ले लो।
अब आये हैं ये ऊँट पहाड़ के नीचे। अब तक इन्होंने खुद भी खूब देश के पैसे पर ऐश की और अपने आकाओं (खानदानी सरकार यानी काँग्रेस) को भी ऐश कराई। कोई समस्या आई तो फिर उन्हें डर काहे का जब उनके सैंया भये कोतवाल। लेकिन अब ये ‘चौकीदार’ की सरकार है, और इसके एक आह्वान पर पूरे देश भर में चौकीदारों की लम्बी लाइन खड़ी हो चुकी है। ऐसे देशविरोधी तत्वों को अब डरना ही होगा।