केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी सरकार की तरफ से एससी/एसटी ऐक्ट में किए गए संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों की तरफ से गुरुवार को भारत बंद का ऐलान किया गया है।
इस बंद के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। भारत बंद के तहत मध्य प्रदेश सबसे संवेदनशील बना हुआ है, जहां पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद हैं।
मध्य प्रदेश में एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर सबसे प्रखर विरोध हो रहा है। कई केंद्रीय मंत्रियों का घेराव करने के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जूता फेंकने, गाड़ी पर पथराव तथा काले झंडे दिखाए जाने की अनेक घटनाएं हुईं।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही पेट्रोल पंप भी दिन भर बंद रहेंगे। हालांकि इंटरनेट अभी चल रहा है, लेकिन मामला गंभीर होने पर प्रशासन की तरफ से इसे बंद भी किया जा सकता है।
गुरुवार को भारत बंद का असर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा सहित पूरे उत्तर भारत में दिखने की संभावना है।
देश के अन्य हिस्सों में भी सवर्ण समाज के लोग सड़कों पर उतर सकते हैं। देश भर के 100 से अधिक संगठनों ने इस भारत बंद का आह्वान किया है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में खासा दबदबा रखने वाली करणी सेना और सर्व समाज संघर्ष समिति जैसे संगठनों ने केंद्र सरकार पर जातियों को आपस में लड़ाने का आरोप लगाया।
वहीं बिहार में भी बंद का अच्छा-खासा असर देखने को मिल सकता है, जहां पिछले कई दिनों से सवर्ण संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के 11 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। ग्वालियर संभाग के जिलों में सुरक्षाबल सबसे अधिक मुस्तैद हैं। गौरतलब है कि दो अप्रैल को आरक्षित वर्ग द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी।
इसमें 6 लोगों की मौत भी हुई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य का प्रशासन और पुलिस पूरी तरह सतर्क है। पुलिस बल की तैनाती की गई है।
दरअसल ये पूरा विवाद उस एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर है, जिसमें मोदी सरकार ने संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था।
एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A को जोड़ते हुए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए सभी प्रावधान रद्द हो जाएंगे।
अब सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद इस मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी, बल्कि हाई कोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी।
अब जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा और मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेंगे। एससी-एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी।
इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत भी नहीं लेनी होगी।