एससी एसटी एक्ट के फैसले को लेकर भारत सरकार को मिली धमकी।

एससी एसटी एक्ट के फैसले को लेकर भारत सरकार को मिली धमकी।

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एक बार फिर एससी एसटी एक्ट को लेकर एक बड़ा बयान आया है। यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने दिया है।

एससी/एसटी एक्ट को मूल रूप में बहाल करने के विरोध का मामला अब जोर पकड़ने लगा है। सवर्ण संगठनों ने सीधे-सीधे सरकार को चुनौती दी है।

प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने सरकार को ललकारते हुए कहा कि दो महीने का वक्त है, वरना हम वह करके दिखाएंगे जो भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो राजनीति में भी उतरा जाएगा।

देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि बिना जांच के गिरफ्तार करने का कानून तो पाकिस्तान में भी नहीं है। देश को जाति में बांटने वालों को उनकी औकात दिखा दी जाएगी। ‘मर्डर और घोटाले में बेल, झूठी रिपोर्ट कराने पर जेल’ यह कैसा कानून है?

कथावाचक ने कहा कि मुझे 100 से ज्यादा बुलावे आए हैं, लोग फोटो खिंचवाने के लिए बुलाना चाहते हैं, लेकिन मैं कहीं नहीं गया। सभी को फोटो की पड़ी है लेकिन इस देवकीनंदन को देश बचाने की पड़ी है।

देवकीनंदन ने कहा कि हम नोटा नहीं दबाएंगे, बल्कि विकल्प देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं सरकार के खिलाफ नहीं हूं, क्योंकि मैं ही सरकार हूं। हमारे अंगूठे से ही सरकार बनती-बिगड़ती है। मैं नोटा पर बटन दबाना नहीं चाहता हूं।

हम नोटा दबाते रह जाएंगे और फायदा कोई और ले जाएगा। हम लोटा की तरह बहकर रह जाएंगे। अब नोटा का इस्तेमाल नहीं करेंगे बल्कि देश को एक उत्तम विकल्प देंगे।’

करणी सेना की अगुवाई में एसएसटी एक्ट के विरोध में ग्वालियर के मैदान में स्वाभिमान सम्मेलन का आयोजन किया गया। यहां हजारों की भीड़ मौजूद रही।

इसी दौरान राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता बिजेंद्र सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार ने कहा था कि कोई ‘माई का लाल” आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, लेकिन अब करणी सेना के माई के लाल आ गए हैं।

गूंगे बहरों को सांप सूंघ गया है। शिवराज पर जूता फेंकने वाले हमारे माई के लाल थे, 78 प्रतिशत लोगों को मारोगे तो जवाब नहीं दे पाओगे।

करणी सेना के प्रदेश संयोजक अतुल प्रताप ने कहा कि दो अप्रैल के घटनाक्रम में हमारे भाइयों पर जो झूठे केस लगाए हैं, शिवराज सरकार ने अगर वे वापस नहीं लिए तो आगे संभाग में आंदोलन को संभाल नहीं पाओगे।

अब न मोदी, न शिवराज, न कांग्रेस न महाराज, कोई नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति को कमजोरी न समझें, शांति जरूरी है, हिंसा मजबूरी है।

सवर्णों ने इस फैसले के विरोध में 6 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि सवर्णों के 35 संगठन इस बंद का आह्वान कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था तो दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। जिसके बाद कई जगह हिंसा हुई और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया और एससी एसटी एक्ट को मूल रूप में बहाल कर दिया।

ग्वालियर में मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ा। सवर्णों ने होटल में होने जा रही भाजपा की बैठक से पहले नेताओं का घेराव किया और होटल के गेट के बाहर धरने पर बैठ गए।

इस बैठक में प्रदेश सरकार के 4 कैबिनेट मंत्री पहुंचे और बीजेपी के विधायक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे भी मौजूद रहे। इससे पहले सपाक्स संगठन ने विरोधस्वरूप महापौर विवेक शेजवलकर को चूड़ियां और श्रृंगार सामग्री भेंट की।

इसके साथ ग्वालियर पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को भी आंदोलनकारियों ने काले झंडे दिखाने की कोशिश की।

वृंदावन में विप्र महाकुंभ, सवर्ण आयोग के गठन की मांग
उधर, वृंदावन में राष्ट्रीय विप्र स्वाभिमान महासंघ के विप्र महाकुंभ में कई मुद्दों पर शंखनाद किया गया।

एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ आक्रोश जताते हुए केंद्र सरकार से सवर्ण आयोग गठन करने की मांग की गई। कश्मीरी ब्राह्मणों को पुन: स्थापित करने, गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने और देवी- देवताओं की मूर्तियों का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान करने को कहा गया।

शांतिसेवा धाम में आयोजित विप्र महाकुंभ में उमड़ी भीड़ के बीच देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो जाति के आधार पर समाज का विभाजन न करे। एससी-एसटी एक्ट की नई व्यवस्था में निर्दोषों के मुकदमों में फंसने की ¨चता है।

उन्होंने अल्टीमेटम दिया कि सरकार ने अगर एससी-एसटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी की व्यवस्था को दो महीने में वापस नहीं लिया तो विप्र समाज नए विकल्प तलाशेगा।