करें इन काम को नही होगा, अल्जाइमर का खतरा।

करें इन काम को नही होगा, अल्जाइमर का खतरा।

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वैदिक मंत्रों और श्लोकों के उच्चारण से अल्जाइमर जैसे खतरनाक रोग के खतरे को कम किया जा सकता है। अल्जाइमर रोग दिमाग की नसों में प्लाक जम जाने के कारण होता है, जिससे व्यक्ति की याददाश्त चली जाती है और कुछ अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

हाल में ही कैंब्रिज स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में चूहों पर एक शोध में पाया गया कि 40 हर्ट्ज साउंड वेव्स और लाइट सिग्नल्स की मदद से चूहों के दिमाग में मौजूद प्लाक को खत्म किया गया है।

इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला कि वैदिक मंत्रों और श्लोकों के उच्चारण से अल्जाइमर रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

दरअसल जब भी आप गहरे ध्यान में होते हैं या किसी चीज पर ध्यान एकाग्रित करते हैं, तो शरीर में गामा किरणें पैदा होती हैं। ये किरणें 25 से 100 हर्ट्ज फ्रीक्वेंसी तक हो सकती हैं यानी इनकी फ्रीक्वेंसी औसतन 40-45 हर्ट्ज होती है।

इसके अलावा जब आप गहरी नींद में होते हैं, तो आपका शरीर डेल्टा और अल्फा किरणें पैदा करता है। इन किरणों की फ्रीक्वेंसी भी 4 से 12 हर्ट्ज तक हो सकती है। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ध्यान और मंत्रोच्चार द्वारा अल्जाइमर रोग को हराया जा सकता है।

क्यों फायदेमंद हो सकता है मंत्रों का उच्चारण

वेदों में ऐसे कई मंत्र हैं, जिनका उच्चारण नासिका की सहायता से होता है। ध्यान करते समय आमतौर पर आंख बंद करने के बाद प्रकाश की कल्पना करते हुए मंत्रोच्चार किया जाता है।

चूंकि ध्यान के समय हमारा दिमाग प्रकाश और ध्वनि दोनों का अनुभव करता है इसलिए मंत्रों के उच्चारण से अल्जाइमर को ठीक किया जा सकता है। खासतौर पर ओम् का उच्चारण इसमें बहुत फायदेमंद है क्योंकि ओम् शब्द की फ्रीक्वेंसी बहुत ज्यादा है।

माना जाता है कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से हमेशा ॐ की ध्वनि निकलती है। ओउम् तीन अक्षरों से मिलकर बना है, अ, उ, म्।

“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना।
“उ” का तात्पर्य है उठना, उडना अर्थात विकास।
“म्” का मतलब, मौन हो जाना अर्थात ब्रह्मलीन हो जाना।
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कैसे करें ओम् मेडिटिशन

सुबह जल्‍दी उठकर जाप करना अच्‍छा रहता हैं।

ओम् मेडिटेशन करने के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें।

पद्मासन में बैठकर, पेट से आवाज निकालते हुए जोर से ओम का उच्चारण करें।

ओम् को जितना लंबा खींच सकें, खींचें। सांस भर जाने पर रुकें और फिर यही प्रक्रिया दोहराएं।

उच्चारण खत्म करने के बाद 2 मिनट के लिए ध्यान लगाएं और फिर उठ जाएं।