केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला, तीन तलाक पर संसद में नया बिल लाएगी मोदी सरकार।
नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद की पहली बैठक बुधवार हुई। इसमें सरकार के लघु और दीर्घकालिक अजेंडे पर चर्चा की गई।
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लगे राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने के लिए और बढ़ा दिया है। फिलहाल इसकी अवधि 2 जुलाई 2019 को खत्म हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को बुलाई गई कैबिनेट बैठक में इस विस्तार को मंजूरी दी गई है। इसके तहत 17 जून से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार इसे लेकर प्रस्ताव भी लाएगी।
फिलहाल जम्मू-कश्मीर में 21 नवंबर को विधानसभा भंग होने के बाद से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ही संसद से इसकी मंजूरी भी ली थी। लोकसभा से यह 28 दिसंबर 2018 को और राज्यसभा से तीन जनवरी 2019 को ही पारित हुआ था।
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार को यह मंजूरी उस समय दी है, जब अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। इस विस्तार के बाद दो दिसंबर 2019 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन ही रहेगा।
उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान कई जगह पर लोगों ने शिकायत की थी कि उनको प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ नहीं मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा भी किया था कि इससे कोई वंचित नहीं रहेगा। ऐसे में योजना को बेहतर तरीके से लागू करने के बारे में भी इस बैठक में चर्चा हो सकती है। सरकार के एजेंडे पर 10 अध्यादेशों की जगह लेने वाले कानूनों सहित कई अहम विधेयक भी हैं, जिन पर मंथन हो सकता है।
गौरतलब है कि उक्त बैठक पीएम मोदी की केंद्र के सभी सचिवों के साथ हुई बातचीत के अगले दिन हुई। 16वीं लोकसभा में तीन तलाक विधेयक लोकसभा से मंजूर हो गया था लेकिन राज्यसभा में पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण यह पास नहीं हो सका था। माना जा रहा है कि सरकार इसको लेकर गंभीर है। नए संसद सत्र में इसे फिर से पास कराने की घोषणा की गई है। कैबिनेट बैठक में इस विधेयक को लेकर भी चर्चा की गई।
इससे पहले कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि 17 जून से संसद का नया सत्र शुरू होगा, जिसमें बजट भी पेश होगा। इस बैठक में सभी किसानों को पीएम किसान सम्मान योजना का लाभ देने का फैसला लिया गया था।
यही नहीं सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा कोष के तहत ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना’ में एक बड़े बदलाव को मंजूरी दी थी। इस छात्रवृत्ति योजना में नक्सली और आतंकी हमले में शहीद होने वाले राज्य पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के बच्चों को भी शामिल किया गया था।