टेपवर्म खंडित वर्म अथवा कीड़े होते हैं, जो कुछ जानवरों की आंतों में रहते हैं। जानवर चारागाहो में चरते समय या दूषित पानी पीकर इन परजीवियों से संक्रमित हो सकते हैं।
संक्रमित पशुओं का कच्चा या अधपका मांस खाने से ही ये टेपवर्म मनुष्यों के शरीर में प्रवेश करते हैं। हालांकि, टेपवर्म के कारण मनुष्यों में जो लक्षण नजर आते हैं, उन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है।
लेकिन, कई बार ये काफी गंभीर भी हो सकते हैं। और कई बार ये जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए टेपवर्म के लक्षणों को पहचानना जरूरी है ताकि आप स्वयं को और अपने परिवार को इसके दुष्प्रभावों से सुरक्षित रख पायें।
फीता कृमि एक अमेरूदण्डी परजीवी है। यह रीढ़धारी प्राणियों जैसे मानव के शरीर में अंतःपरजीवी के रूप में निवास करता है। इसकी कुछ प्रजातियां 100 फिट (30 मीटर) तक बढ़ सकती हैं। इसका शरीर फीता की तरह लम्बा और अनेक खण्डों में बँटा होता है। शरीर के प्रत्येक खण्ड को प्रोग्लोटिड कहते हैं।
हाल ही में न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, फरीदाबाद के युवक द्वारा टेपवर्म से संक्रमित कबाब खाने के बाद शरीर में जाने पर यह और फैल गया और फिर शरीर के अन्य अंगों तक में चला गया।
हालात बदतर होते गए और इलाज के दौरान इस लड़के की मौत हो गई। यहां पर बता दें कि इस बीमारी को सिस्टसरकोसिस कहा जाता है। ऐसे मामले में दुनियाभर में सामने आते रहे हैं।
टेपवर्म या फीता कृमि क्या है
मनुष्यों को छह प्रकार के टेपवर्म प्रभावित कर सकते हैं। इन्हें उन पशुओं के जरिये पहचाना जाता है, जिसके जरिये ये मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं।
टिनिया सेगिनाता (Taenia saginata) गौमांस से, टिनिया सोलिलयम (Taenia solium) सुअर से, और डिफिलोबोट्रियम लॉटम (मछली) से इनसानी शरीर में प्रवेश करता है।
टेपवर्म का जीवन तीन-स्तरीय होता है। अंडा, शुरुआती स्थिति जिसे लार्वा कहा जाता है, व्यस्क स्थिति में कीड़ा और अंडे देने लगता है। क्योंकि यह लार्वा मांसपेशियों में प्रवेश कर जाता है, इसलिए जब आप कच्चा या अधपका मांस खाते हैं, तो संक्रमण होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
यदि संक्रमित व्यक्ति शौच के बाद अच्छे से हाथ धोये बिना खाना पकाता है, तो ये वर्म उस खाने में प्रवेश कर बाकी लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं।सब्जियां के उपभोग के माध्यम से संक्रमण फैलता है, जिन्हें अच्छी तरह से धोया, पकाया और छिला न गया हों।
दिमाग में घुसने वाले पत्ता गोभी के कीड़े को टेपवर्म (tapeworm) यानी फीताकृमि कहा जाता है। यह कीड़ा खाने के साथ पेट में, आंतों में और फिर ब्लड फ्लो के मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। यह कीड़ा जानवरों के मल में पाया जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, टेपवर्म से होने वाले संक्रमण को टैनिएसिस कहा जाता है। टेपवर्म की तीन मुख्य प्रजातियां टीनिया सेगीनाटा, टीनिया सोलिअम और टीनिया एशियाटिका होती हैं।
शरीर में प्रवेश करने के बाद यह कीड़ा अंडे देना शुरू कर देता है। इसके कुछ अंडे हमारे शरीर में भी फैल जाते हैं, जिससे शरीर में अंदरूनी अंगों में घाव बनने लगते हैं।
टेपवर्म के लक्षण
मतली
कमजोरी
डायरिया
पेट में दर्द
अधिक भूख या भूख खत्म हो जाना
थकान
वजन कम होना
विटामिन और मिनरल की कमी होना
हालांकि, आमतौर पर टेपवर्म किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाता। इसका एकमात्र संकेत शौच में घूमते कीड़े हो सकता है। दुर्लभ मामलों में टेपवर्म गंभीर हालात भी पैदा कर सकता है। इसमें आंतों का अवरुद्ध होना भी शामिल है।
यदि सुअर का टेपवर्म गलती से आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह आपके शरीर के भीतर गतिमान हो जाता है। इससे लिवर, आंखें, दिल और मस्तिष्क तक प्रभावित हो सकते हैं। ये संकेत वाकई जानलेवा हो सकते हैं।
यदि आपको अपने शरीर के भीतर टेपवर्म होन की आशंका हो, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योकि टेपवर्म कई प्रकार के होते हैं, तो इस बात की पुष्टि करने के लिए कि आपको कौन सा टेपवर्म है डॉक्टर स्थूल की जांच कर सकता है।
इन चीजों में पाया जाता है टेवपर्म
पत्ता गोभी
पालक
मछली
पोर्क
बीफ
फूल गोभी
हरा धनिया
यदि वर्म की जांच स्थूल के जरिये न हो पाये, तो डॉक्टर रक्तजांच के जरिये भी टेपवर्म संक्रमण का पता लगा सकता है। गंभीर मामलों में डॉक्टर कंप्यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी अथवा एमआरआई करवाने को भी कह सकता है। इससे उसे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कहीं इन कीड़ों ने पाचन-क्रिया के अंगों के अलावा अन्य अंगों को तो प्रभावित नहीं किया।
चिकित्सा का प्रकार और समय टेपवर्म के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर टेपवर्म का इलाज गोलियों द्वारा ही किया जाता है। ये दवायें टेपवर्म को मारती हैं। ये मृत टेपवर्म या तो घुल जाते हैं या फिर शौच द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
यदि कीड़े बड़े हों तो शरीर से उनके बाहर निकलते समय अकड़न भी हो सकती है। जब टेपवर्म आंतों तक ही सीमित हों, तो सही इलाज से 95 फीसदी लोगों को इससे राहत मिलती है।
इलाज पूरा होने के एक और तीन महीने बाद आपका डॉक्टर एक बार फिर स्थूल की जांच करता है। वह यह पुष्टि करना चाहता है कि कीड़े पूरी तरह समाप्त हो गए हैं अथवा नहीं। टेपवर्म के गंभीर संक्रमणों को भी दवाओं के जरिये ठीक किया जाता है।
टेपवर्म से बचने के लिए आपको जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। सब्जियां और फलों का उपयोग खूब अच्छी तरह धोकर करें। सब्जियों को दो-तीन बार पानी में डुबोकर अच्छी तरह साफ करना चाहिये। उन्हें नल की तेज धार के नीचे साफ करें।
मांसाहारी लोगों को चाहिये कि वे सुअर व गाय के मांस से बचें तथा कम पका या अधपका मांस भी न खाएं। स्वच्छ पानी ही पिएं, इसके लिये फिल्टर का उपयोग करें या आवश्यकतानुसार पानी को उबालकर पीना चाहिए।
घरों में मल एवं गंदगी के निकास की उचित व्यवस्था करवाएं। जहां तक संभव हो शौचालय कुछ अलग स्थान पर होने चाहिए। कुंओं और जलाशयों की नियमित सफाई आवश्यक है।
ऐसे स्थानों के पास अथवा खेत इत्यादि में शौच क्रिया न करें। चिकित्सक की सलाह पर वर्ष में एक या दो बार कृमिनाशक दवाइयों का सेवन भी किया जा सकता है।