आपने अक्सर मंदिरों में हनुमानजी की खड़ी या बैठी हुई प्रतिमा देखी होगी और घर पर भी आपने ऐसी ही मूर्ति स्थापित की होगी।
लेकिन शायद आपको न पता हो कि हनुमानजी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां सिर के बल खड़ी उनकी प्रतिमा की पूजा की जाती है। उलटे हनुमान जी का मन्दिर इंदौर के सांवरे नामक स्थान पर स्थापित है।
माना जाता है कि यह मंदिर रामायण काल के समय का है। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है।
यहां आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। भगवान हनुमान के सभी मंदिरों में से अलग यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है।
कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था तब अहिरावण ने एक चाल चली। उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे।
तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले गया और जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हड़कंप मच गया।
हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुंचे और वहां पर अहिरावण का वध करके वह प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को सुरक्षित वापस ले आए थे।
मान्यता है की यही वह स्थान था जहां से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पांव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उलटे रूप की पूजा की जाती है।
सांवेर के उलटे हनुमान मंदिर में एक मुख्य मान्यता यह है कि यदि कोई व्यक्ति तीन मंगलवार या पांच मंगलवार तक इस मंदिर के दर्शनों के लिए लगातार आता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। यहां मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने की मान्यता भी है।
उलटे हनुमान मंदिर के दर्शन मात्र से ही सभी समस्याएं दूर हो जाती है। मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती जी की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं।
मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। इसके साथ ही उलटे हनुमान मंदिर में वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं भी हैं।