शहद सेहत के लिए रामबाण माना जाता है। शहद के औषधीय गुणों के चलते इसका सेवन बहुत आम बात है। वहीं, शहद अपनी शुद्धता खो रहा है, क्योंकि इसमें मिलावट बढ़ गई है।
फूड सेफ्टी की सबसे बड़ी बॉडी FSSAI का मानना है कि शहद में मिलावट हो रही है। मिलावटखोरी के धंधे को देखते हुए FSSAI ने बाजार में बिक रहे कई ब्रांड की टेस्टिंग भी कराई है, लेकिन रिपोर्ट पर कुछ नहीं कहा है।
एफएसएसआई के रेगुलेशन और कॉडेक्स विभाग के एडवाइजर सुनील बक्शी ने कहा कि पुराने मानकों में मिलावट का प्रावधान नहीं था, इसलिए पिछले दिनों मिलावट की शिकायतें बहुत बढ़ गई थी।
हमारे पास जो नया स्टैंडर्ड रिवाइज हुआ है उसमें मिलावट को लेकर कई पैरामीटर पर काम हुआ है। जैसे एक्ट्रा सीरप, शुगर या पानी अगर मिला होगा, तो पता चल जाएगा क्योंकि अब शहद में सबकी मात्रा निश्चित होगी। पोलन नेक्टर की मात्रा भी निश्चित होगी, 25 हजार के आस-पास।
मतलब असली शहद में फूलों के पोलर नेक्टर होंगे अगर ऐसा नहीं होता है, तो वो शहद नकली माना जाएगा। हालांकि स्टैंडर्ड केवल मैन्यूफ्रेक्चरर या हनी मेकर के लिए हैं, लेकिन कंज्यूमर के लिए हमने कुछ टिप्स अपनी वेबसाइट पर डाले हैं। जिससे वो खुद घर पर हनी की प्योरिटी चेक कर पाएंगे।
एफएसएसआई ने इस नए स्टैंडर्ड आने के तुरंत बाद डाबर, पतंजलि, झंडू जैसे बडे ब्रांड की टेस्टिंग की बात कही। टेस्टिंग पूरी हो चुकी है।
दरअसल, शहद में शुगर सीरप की मिलावट होती है इस शक के आधार पर ये टेस्टिंग कराई गई है। यही नहीं नया स्टैंडर्ड भी इसलिए ही लाया गया है, क्योंकि शहद के जो पुराने मानक थे उनमें मिलावट यानी C3 के प्रावधान का जिक्र ही नहीं था।
ऐसे में कंपनियां बहुत ही आसानी से ये गोरखधंधा चला रही थी। पिछले दिनों बाजार में शहद के जमने और मिलावट की शिकायतें बहुत ज्यादा बढ़ गई। हम जब नोएडा के बाजारों में गए तो दुकानदारों और खरीददारों का कहना था कि शहद बहुत बेकार आ रहे हैं। किसी भी कंपनी का शहद शुद्ध नहीं है। सब बड़े बड़े दावें करते हैं।
पहले शहद पर जो स्टैंडर्ड था उसमें मिलावट पर फोकस नहीं था, बल्कि एंटिबायोटिक, मॉय्सचर, सुक्रोस,माइकोबायलॉजिकल, इनसब पैरामीटर का ध्यान रखा जाता था लेकिन नए स्टैंडर्ड में मिलावट यानी added sugar कितनी होगी, शुगर सीरप तो नहीं है, इसपर फोकस करके स्टैंडर्ड बनाया गया है।
नए स्टैंडर्ड के मुताबिक c3 c4 की टेस्टिंग होगी। नए स्टैंडर्ड में कुल 20 पैरामीटर हैं। इस स्टैंडर्ड के आने के बाद प्योर और मिलावटी हनी की पहचान करना आसान होगा।
मिलावटखोरी के बाजार को देखते हुए दिसंबर में हनी के स्टैडर्ड का ड्राफ्ट जारी हुआ था और अगस्त में इसका नोटिफिकेशन आ गया। पहले अगर कंपनियां मिलावटी हनी बेच भी रही थी, तो कहीं भी इसकी टेस्टिंग से कुछ खास पता नहीं चल पाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
हनी में मिलावटखोरी को देखते हुए साल 2015 में कंज्यूमर वॉयस ने 10 हनी ब्रांड का डीएनए टेस्ट कराया था, जिसमें एक-दो ब्रांड को छोड़कर अधिकतर FSSAI के शुद्धता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे।
दरअसल, उस वक्त जांच मिलावट पर फोकस करके नहीं हुई थी। कुछ आम से इंडिकेशन को देखकर हुई थी, क्योंकि जिन सरकारी लैब में ये जांच कराई जाती है वहां c4 aur c3 की जांच के साधन नहीं हैं।
दरअसल पिछले दिनों खबरें आई थी कि चीन भी भारत में मिलावटी हनी धड़ल्ले से भेज रहा है और हमारे बाजार में उसकी हलचल है। लेकिन नेशनल बी बोर्ड ने साफ़ कर दिया कि शहद के नाम पर भारत में inverd sugar आ रही है।
इसे हनी में ज़रूरत के हिसाब से मिलाया जाता है। हनी के उत्पादन में कोई कमी नहीं है लेकिन बाज़ारीकरण इतना बढ़ गया है कि क्वालिटी ख़राब होती जा रही है और कंपनियां मिलावट पर उतर आई है।
अगर हनी में मिलावट की तो होगी सजा
एक जनवरी से ये नए मानक लागू होंगे। अगर मानकों का उल्लंघन हुआ, तो तीन लाख का जुर्माना और 6 महीने की जेल होगी। शहद के लिए भी बाकी खाद्य उत्पादों में मिलावट करने से जो सजा तय है वही मिलेगी।
घरेलू टेस्ट
अंगूठा टेस्ट- नकली शहद पानी की तरह बह जाता है, लेकिन असली हाथों में रहता है। शहद में अंगूठा डालें उसके बाद अगर वो शहद बह जाता है तो वो नकली है लेकिन अगर अंगूठे में रह जाता है तो वो असली शहद है।
पानी टेस्ट- शहद अगर पानी में ठहर जाता है तो समझ लीजिए वो असली है लेकिन अगर शहद पानी में घुल जाता है तो वो नकली है।
आग टेस्ट- पहले माचिस की तिल्ली लें उसमें आग लगाएं और फिर शहद में आग लगाएं, अगर शहद में आग लगती है तो शहद असली है वरना नहीं।
मक्खी- इसके लिए शहद की शीशी को हवा में खुला छोड़ दें जहां मक्खियां हों। शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फंसती नहीं और नकली शहद में गिर जाए तो मर जाती है ।
मिलावटी शहद हर मौसम में एक जैसा होगा, लेकिन असली शहद ठंड में जम जाएगा। मिलावटी शहद सफेद कपड़े पर दाग छोड़ देता है लेकिन असली शहद नहीं दाग छोड़ता है।