रेलवे कह रहा है कि ट्रेन 18 का संचालन जल्द शुरू होगा। हालांकि रेलवे अधिकारी इसके लिए कोई निश्चित तिथि नहीं बता पा रहे हैं और न ही वह देरी की सही वजह बता पा रहे हैं।
देश की सबसे हाईस्पीड ट्रेन (Train 18) के शुरू होने से पहले ही इसमें सुधार की जरूरत पड़ गई है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कोच फैक्ट्री को ट्रेन की अगली रैक में सुधार करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
ट्रेन 18 को जनवरी-2019 के दूसरे सप्ताह से पहले दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू करना था। बताया जा रहा है कि ट्रेन में सुधार और रेलवे विभाग की आपसी खींचतान की वजह से इसके संचालन में अभी थोड़ी और देरी हो सकती है।
मालूम हो कि ट्रेन 18, नवंबर-2018 में दिल्ली पहुंची थी। इसके बाद दिसंबर तक इस ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। इस ट्रेन को पहले 25 दिसंबर और फिर 29 दिसंबर 2018 से चलाने की योजना थी।
उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन-18 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से हरी झंडी दिखाएंगे। हालांकि, इन दोनों तिथियों पर ट्रेन-18 का संचालन शुरू नहीं हो सका।
इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि मकरसंक्राति से पहले दिल्ली-वाराणसी के बीच इस ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। अब इस समय सीमा में भी ट्रेन का संचालन शुरू होने की उम्मीद बहुत कम है।
ट्रेन-18 शुरू होने से पहले इसकी बनावट में कमियां भी सामने आने लगी हैं। ट्रेन का संचालन शुरू करने के लिए दो दिन पहले आठ जनवरी 2019 को रेलवे अधिकारियों की बैठक हुई थी। इस बैठक में इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने ट्रेन-18 की बनावट पर आपत्ति जताई है।
आइआरसीटीसी का कहना है कि ट्रेन-18 में कैटरिंग के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ट्रेन में बेहद कम जगह होने की वजह से यात्रियों को सफर के दौरान कैटरिंग सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं है।
आइआरसीटीसी की आपत्ति पर रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन का निर्माण कर रही चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) को सूचित कर दिया है। आइसीएफ ने आश्वासन दिया है कि ट्रेन-18 की अगली रैक में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली वर्तमान ट्रेन-18 में पेंट्री सर्विस उपलब्ध कराने के लिए कुछ सीटें कम करके जगह बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा ट्रॉली के जरिए कैटरिंग सर्विस उपलब्ध कराने पर भी विचार हो रहा है। हालांकि आइआरसीटीसी ने ट्रॉली के जरिए कैटरिंग सेवा उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त की है।
आइआरसीटीसी के मुताबिक ट्रेन-18 के मौजूदा डिजाइन में पेंट्री कार की अलग से व्यवस्था नहीं है। कैटरिंग सेवा के लिए ट्रेन के टॉयलेट और लॉबी में मौजूद स्पेस में ही व्यवस्था की जा सकती है, जो कि पर्याप्त नहीं है।
साथ ही इससे यात्रियों और कैटरिंग सेवा में लगे कर्मचारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा ट्रेन में गर्म पानी के लिए बनाया गया टैंक भी अपर्याप्त है।
देश की सबसे हाईस्पीड ट्रेन 18 में किस तरह का खाना परोसा जाएगा, इसका भी मेन्यू अभी तैयार नहीं किया गया है। इसे लेकर भी अभी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। आइआरसीटीसी अधिकारियों के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि रेलवे विभाग इस विशेष ट्रेन में यात्रियों के खाने के लिए भी अच्छी व्यवस्था करेगा।
इसके लिए रेलवे हमें यात्रियों को अलग-अलग तरह का भोजन पेश करने का मौका देगा। हालांकि ये सब कीमत निर्धारण पर निर्भर करेगा। जैसा की गतिमान ट्रेन में हुआ है, जिसका टैरिफ ज्यादा होने की वजह से उसका मेन्यू भी बहुत अच्छा है।
रेलवे सेफ्टी के मुख्य आयुक्त ने कुछ समय पहले ही ट्रेन के संचालन को मंजूरी प्रदान कर दी है। उन्होंने 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर ट्रेन को चलाने की मंजूरी प्रदान की है। हालांकि इसके लिए उन्होंने 20 शर्तें भी रखीं, जिन्हें पूरा करना होगा। इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त ट्रैक के किनारे फेंसिंग कराने की है।
इससे दुर्घटना की आशंकाओं को कम किया जा सकता है। सेफ्टी कमिश्नर के अनुसार अगर ट्रेन को 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पर चलाया जाता है तो भी क्रॉसिंग और भीड़भाड़ वाले संवेदनशील जगहों पर फेंसिंग लगाना जरूरी है।
ट्रेन 18 की देरी में रेलवे की विभागीय खींचतान भी अहम वजह बताई जा रही है। रेलवे के इलेक्ट्रिकल विभाग का कहना है कि लॉचिंग से पहले ट्रेन को इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर जनरल (ईआइजी) से सेफ्टी सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य है।
वहीं मैकेनिकल विभाग का कहना है कि रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) के निरीक्षण और मंजूरी के बाद कानूनी रूप से ईआइजी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती है। सुरक्षा आयुक्त 21 दिसंबर 2018 को ट्रेन 18 के संचालन को सशर्त मंजूरी प्रदान कर चुके हैं।
ट्रेन 18 की खासियतें
1. इस ट्रेन के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट हैं।
2. दोनों एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट में 52-52 सीटें हैं।
3. ट्रेन के सामान्य कोच में 78 सीटें हैं।
4. यह देश की पहली इंजन रहित ट्रेन होगी और शताब्दी का स्थान लेगी।
5. शताब्दी की 130 किलोमीटर प्रति घंटे की जगह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार।
6. गति के मुताबिक पटरी बना ली जाए तो यह शताब्दी से 15 प्रतिशत कम समय लेगी।
7. जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली होगी।
8. अलहदा तरह की लाइट, ऑटोमेटिक दरवाजे और सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे।