डायबिटीज से रखें अपने आप को कोसों दूर, साथ ही जाने जानिए...

डायबिटीज से रखें अपने आप को कोसों दूर, साथ ही जाने जानिए इसके कारण, बचाव, और इसकी सही पहचान?

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हर मां की एक ही ख्वाहिश रहती है कि उसका बच्चा तंदुरूस्त रहे। ऐसे में अगर बच्चे को किसी ने पतला कह दिया तो माथे पर चिंता की रेखाएं आते देर नहीं लगती। बस फिर क्या, लग जाती हैं बच्चे को मोटा करने में। शायद उन मांओ में एक नाम आपका भी हो।

लेकिन अगर ऐसा है तो सबसे पहले सेहत और मोटापे के अंतर को समझ लीजिए। बच्चा पतला और एक्टिव हो तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हां, इसके बिपरीत आगर बच्चा मोटा हो रहा है तो आपको इस ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है। कारण आपको हैरान कर देगा।

एक शोध की मानें तो भारत में लगभग 70 हजार बच्चों को मधुमेह है, जिनमें से करीबन 40 हजार से ज्यादा बच्चे टाइप 2 डायबिटीज से जूझ रहे है। यो आंकड़े साल दर साल बढ़ ही रहे है। मधुमेह का बहुत बड़ा कारण मोटापा और सुस्त पड़ती जीवन शैली है।

वयस्कों में इसका होना आम बात है, लेकिन अब ये बीमारी बच्चों की ओर कदम बढ़ाती जा रही है। इस बाबत ऐंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉक्टर कहते है कि बच्चों में इस बीमारी का होना इनकी युवावस्था को खराब कर सकता है। इस बीमारी से भावी पीढियां और ज्यादा प्रभावित होगी।

क्या है कारण?

सुविधाजनक जीबनशैली जितना हनमें आरामतलबी बना रही है, उतनी ही तेजी से हमारे शरीर को बीमारियों का घर भी। इ का एक नतीजा मधुमेह भी है, जिससे अब पंद्रहसाल से कम उम्र के बच्चे भी अछूते नहीं है। बात टाइप2 की करें तो इसका मुख्य कारण बढ़ता मोटापा है। आरामदायक जीवन बच्चों का खेलकूद और व्यायाम से दूर करता जा रहै ह। वहीं जंक फूड की मांग बच्चों में बढ़ती जा रही है। यो दोनों ही कारण मोटापे को प्रोत्साहन देते है और मोटापा डायबिटीज को बुलावा देता है। अगर मधुमेह का पारिवारिका इतिहास है तो बच्चो में इस बीमारी की आशंका और भी बढ़ जाती है। कुछ बच्चों में हार्मोन के असंतुलन के कारण भी टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

यूं करें पहचान

इस बीमारी में शुरूआती तौर पर लक्षण पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। हां, समस्या बढ़ने पर कुछ लक्षण सामने आते ही आप अपने बच्चे का सही समय पर उपचार करवा सकती है। खासतौर पर इन बातों पर ध्यान दीजिएः अचानक वजन बढ़ना, खाना खाने के बाद भी भूख और प्यास लगते रहना, मुंह सूखा रहना, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, कमजोरी महसूस करना, धुंधला दिखाई देना, सांस फूलना, घाव का धीरे धीरे भरना, त्वचा में खुजली और हाथों व पैरों में सूजन।

यूं करें बचाव

बच्चों पर आपका लाड़ उनको इस स्थिति में ले आए, उससे पहले ही आप इसकी रोकथाम कर सकती है। सबसे पहले तो अपने बच्चे को मोटा होने से बचाएं। बच्चों से ज्यादा से ज्यादा शारिरिक श्रम करवाएं। उन्हें खेलने का पूरा मौका दें साथ ही व्यायाम करवाना न भूलें। बाजार के खानपान से दूरी बनाना बेहतर रहेगा। साथ ही टीवी देखकर खाना खाने की आदत पर लगाम लगाएं। कोशिश करें, बच्चा टीवी और मोबाइल से दूरी बनाकर रखें।

ऐसा करना इसके खेलकूद को बढ़ावा देगा। घर के खानपान में भी सेहत का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। बच्चे को पोषण से भरपूर थाली परोंसें। बच्चा मेरी बात नहीं सुनता है, अगर ये समस्या आपकी भी है तो इस पर एकदम से बदलाव लाने का दबाव न डालें। आदतें धीरे धीरे ही बदल पाती है। बदलाव के साथ बच्चे को प्रोत्साहित करना न भूलें।