भारत के दक्षिणी राज्य केरल में हाल ही में बाढ़ ने पूरी तरह से जनजीवन अस्त-व्यस्त कर के रख दिया है। वहां के लोगों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। कहा जा रहा है कि इसके लिए भारतीय प्रधानमंत्री मोदी भी खासा चिंतित हैं।
इतना ही नहीं इस आपदा को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आपदा का जायजा लिया। वही इसको लेकर उन्होंने 500 करोड़ की आर्थिक मदद की भी घोषणा की।
वहीं दूसरी ओर इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यूनाइटेड अरब अमीरात ने भी बाढ़ ग्रस्त केरल के लिए पूरे 700 करोड रुपए की आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है।
वहीं इस आर्थिक मदद को लेने से भारत ने इंकार कर दिया है। यह बात बेहद चौंकाने वाली है कि भारत सरकार इस आर्थिक मदद को आखिरकार क्यों नहीं लेना चाहता।
भारत सरकार ने बाढ़ग्रस्त केरल के लिए यूएई की ओर से पेश की गई 700 करोड़ की मदद लेने से विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया है। सरकार का कहना है कि इस आपदा के लिए विदेशी से मिल रही किसी भी वित्तीय मदद को भारत स्वीकार नहीं करेगा।
यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को दी। सूत्र के कहा कि कहा कि सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से घरेलू प्रयासों पर भरोसा करने का निर्णय लिया है।
वही इस मामले को लेकर यह बात सामने आ रही है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने केरल में बाढ़ राहत अभियान के लिए करीब 700 करोड़ रुपये नकद देने की पेशकश की थी। यूएई में करीब 30 लाख भारतीय काम करते हैं। इनमें से 80 फीसदी केरल से हैं।
मालदीव की सरकार ने केरल में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए 35 लाख रुपये दान करने का निर्णय लिया था। समझा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी केरल के लिए कुछ सहायता की पेशकश की है।