पुरी मंदिर में प्रवेश हेतु सुप्रीम कोर्ट से मिले पुलिसकर्मियों को निर्देश।

पुरी मंदिर में प्रवेश हेतु सुप्रीम कोर्ट से मिले पुलिसकर्मियों को निर्देश।

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उच्चतम न्यायालय ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कतार लगाकर दर्शन करने की व्यवस्था लागू करने के दौरान 3 अक्टूबर को ही इंसाफ पर संज्ञान लेते हुए बुधवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी पुलिसकर्मी हथियार लेकर जूते पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं करेगा।

एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन ने पंक्ति बुद्ध दर्शन की व्यवस्था के विरोध में 12 घंटे का बंद रखा था। जिसको देखते हुए इस दौरान मंदिर परिसर में हुई हिंसा में 9 पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हुए थे।
वहीं इस मामले पर सुनवाई के दौरान ओडिशा को बताया कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और वहां स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।

वहीं इस मामले को देखते हुए सरकार ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर के भीतर कोई इंसान नहीं हुई थी। मंदिर प्रशासन के कार्यालय पर हमला कर उसमें तोड़फोड़ की गई थी।

मंदिर के अधिकारी कतार लगाकर दर्शन की व्यवस्था प्रयोग इस आधार पर शुरू की गई है और इसकी समीक्षा की जाएगी क्योंकि स्थानीय लोगों और सेवादार का पूर्ण रूप से विरोध कर रहे हैं।

वह इस बात पर उल्लेख नहीं है यह है कि जगन्नाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंक्ति व्यवस्था शुरू करने के खिलाफ एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन के 12 घंटे के बंद के दौरान बीते बुधवार को यहां पर भड़की हुई हिंसा में 10 पुलिसकर्मियों सहित करीब 30 लोग घायल हो गए थे।

पुलिस द्वारा श्री जगन्नाथ सेना के संयोजन प्रियदर्शन पटनायक का एहतियातन हिरासत में लिए जाने के बाद संगठन की ओर से आयोजित बंद हिंसक हो गया।

सोमवार को प्रयोग के आधार पर पुरी मंदिर में पंक्ति व्यवस्था लागू किए जाने के तुरंत बाद ही संगठन ने बंद की घोषणा की थी।

इस पर जोर देते हुए बंद अभी और तेज होगा पटनायक ने इस बात की पुष्टि की कि जिस तरीके से नहीं प्रणाली शुरू की गई है। इससे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। श्री जगन्नाथ सेना के कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने पटनायक को तुरंत छोड़ भागने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।

उन्होंने कई जगह पर टायर जलाकर जगन्नाथ मंदिर के सामने बड़ा झंडा को भी अवरुद्ध कर दिया।