शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर पैरों और पंजो के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति कहा जाता है।
एक्यूप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग के निदान करने की विधि है। चिकित्सा शास्त्र की इस शाखा का मानना है कि मानव शरीर पैर से लेकर सिर तक आपस में जुड़ा है।
एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है, जिसे चीनियों के द्वारा प्रतिपादित किया गया था। पैरों और तलवे में मौजूद ऐसे कई प्वाइंट्स होते हैं जिनकी मदद से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर पैरों और पंजो के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति कहा जाता है।
इस पद्धति के लगातार अध्ययनों के बाद मानव शरीर के दो हजार ऐसे बिंदु पहचाने गए है जिन्हें एक्यू पॉइंट कहा जाता है जिस एक्यू पॉइंट पर दबाव डालने से उसमे दर्द हो उसे बार बार दबाने से उस जगह से सम्बंधित बीमारी ठीक हो जाती है।
हमारे शरीर पर मौजूद कुछ बिंदु ही कई रोगों का निदान करने की क्षमता रखते हैं। यदि इन बिंदुओं पर विशेष प्रकार से दबाव डाला जाए, तो यह कई रोगों के इलाज में मदद कर सकते हैं।
एक्यूप्रेशर इलाज की ऐसी ही एक पद्धति है, जो शरीर के इन खास बिंदुओं को दबाकर रोग को दूर करने का कार्य करती है। यदि इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाए, तो आमतौर पर इसके दुष्प्रभाव कम होते हैं।
पैरों और पैरों के तलवों, अंगुलियों में कई ऐसे एक्यूप्रेशर प्वाइंट होते हैं जिनकी मदद से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्धति सरल, हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है।
बस शरीर से सम्बंधित अंगों के बिंदु केंद्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए। आइए जानें पैरों और पंजों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट के बारे में।
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के अंदरूनी भाग में होता है। यह प्वाइंट पिंडली की हडि्यों और टखने की हडि्यों के उपर की चार अंगुलियों के पीछे की साइड पर होता है।
इस निश्चित स्थान पर हल्के से दबाव बनाते हुए घेरा बनाकर क्लॉकवाइज हर रोज 3 मिनट तक दोनों पैरों में घुमाइए।
इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसके स्प्लीन-6(प्लीहा) प्वाइंट भी कहते हैं। इसे करने से किडनी, लीवर और प्लीहा से संबंधित विकार समाप्त होते हैं।
यह प्वाइंट पैर के अंगूठे और उसके बगल की छोटी उंगली के बीच में होता है। इसे लीवर-3 प्रेशर भी कहते हैं। इस बिंदु को दबाकर धीरे से एंटी-क्लॉकवाइज घेरा बनाकर 3 मिनट तक प्रत्येक दिन और लगातार 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसको करने से आराम मिलता है और व्यक्ति तनाव में नहीं रहता।
यह प्वाइंट पैर के अंदरूनी हिस्से में होता है। टखने की हड्डी और स्नायुजल के बीच में यह प्वा्इंट होता है। इसे किडनी-3 प्वाइंट भी कहा जाता है।
इस प्वाइंट का घेरा बनकार क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज 8-12 सप्ताह तक करें। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और थकान को दूर भगाता है।
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के सामने की तरफ बाहरी मेलीलस से 4 इंच उपर की तरफ होता है। इसे स्टमक-40 एक्यूप्रेशर प्वाइंट भी कहते हैं।
इस प्वाइंट पर हल्का दबाव बनाते हुए क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) और अवांछित स्राव को को बाहर निकालता है।
पैरों के तलवे में और एडि़यों पर पाए जाने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर हर रोज कुछ मिनट के लिए प्रशेर देने से अंत: स्रावी रसोत्पादक नलिकाहीन ग्रंथियों से संबंधित रोगों को ठीक किया जा सकता है।
लिवर से संबंधित समस्याओं के लिए पैर के अंगूठे और पहली उंगली के बीच की जगह पर एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है। यह एक्यूप्रेशर प्वाइंट LR-3 कहलाता है।
पैरों के तलवे के बीचों बीच वाले हिस्सा सीधी हृदय से जुड़ता है। इस पर प्रेशर डालने से हृदय से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। लेकिन इसके लिए सही स्थान की पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
अंगूठे की बगल वाली दोनों अंगुलियों के पिछले के बीच वाले हिस्से को पर दबाव देने से आंखों से जुड़ी समस्या दूर होती हैं। हर रोज कुछ मिनट के लिए अगर आप इसे दबाएं तो आंखों की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
पैर की सबसे छोटी वाली अंगुली के पीछे और थोड़ी नीचे के हिस्से पर भी एक्यूप्रशेर प्वाइंट होता है जो कंधों से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।
अगर आपको कंधों से जुड़ी कोई समस्या है तो इस प्वाइंट पर दबाव बनाएं। पीठ दर्द, थकान, सिरदर्द, चिंता, तनाव, और अकेलेपन के लिए एक्यूप्रेशर आश्चर्यकारक काम करता है। लेकिन गर्भवती महिलाओं और उच्च रक्तचाप के व्यक्तियों को इससे बचाना चाहिए।