भारत व इसके मित्र देशों ने चार बार यह प्रस्ताव लाया है और हर बार चीन के असहयोग की वजह से अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बच गया है।
जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को बचाने में जुटे पाकिस्तान और इस काम में उसकी मदद कर रहे चीन के लिए अब आगे यह करना उतना आसान नहीं होगा। अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका ने अब सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनसीएन) में एक नया प्रस्ताव भेजा है। ब्रिटेन और फ्रांस की मदद से लाये गये इस प्रस्ताव को रोकना चीन के लिए आसान नहीं है।
यही वजह है कि अमेरिकी प्रस्ताव पर चीन ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया जताई है और अमेरिका से कहा है कि सोच समझ कर कदम उठाये। दूसरी तरफ भारत ने कहा है कि यह आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मुहिम का एक हिस्सा है।
अभी तक अजहर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए गठित समिति (1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति) के तहत यूएनसीएन में प्रस्ताव लाया जाता रहा है। भारत व इसके मित्र देशों ने चार बार यह प्रस्ताव लाया है और हर बार चीन के असहयोग की वजह से अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बच गया है।
इस समिति के तहत जो प्रस्ताव लाया जाता है उसके खिलाफ कोई भी एक सदस्य वोटिंग करता है तो वह रद्द हो जाता है। यूएनसीएन के सभी सदस्य देशों को प्रस्ताव लाने के 10 दिनों के भीतर इसका विरोध करना होता है।
हर बार चीन ने निर्धारित अवधि समाप्त होने के कुछ घंटे पहले इसका विरोध करके अंतरराष्ट्रीय कोशिशों पर पानी फेर दिया है। पिछली दफे (13 मार्च, 2019) यूएनएससी के 15 में से 14 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया था।
लेकिन अब बुधवार को अमेरिका की तरफ से जो नया प्रस्ताव किया गया है उससे तहत अवधि की कोई सीमा नहीं है। अब सदस्य देशों के बीच इस पर चर्चा होगी और फिर किस दिन इस पर वोटिंग करवाई जाए इसका फैसला होगा। वैसे चीन अभी भी वीटो करके इस प्रस्ताव को गिरा सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को लेकर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि, ”यह किसी मुद्दे को बातचीत से सुलझाने का तरीका नहीं है। इसने आतंकवाद के खिलाफ यूएन की समिति के अधिकारों को भी घटाने का काम किया है।
यह इस मामले में सहयोग की भावना के भी खिलाफ है। हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह इस बारे में सोच समझ कर कदम उठाये और प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए ताकत का प्रयोग नहीं करे।”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर बेहद सतर्कता भरी प्रतिक्रिया जताई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि, ”आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए मसूद अजहर के खिलाफ यूएनएससी में प्रस्ताव लाया गया है। जैश के बारे में भारत का विचार जगजाहिर है।
इसके संगठन जैश ए मोहम्मद ने हाल ही में पुलवामा में भारतीय सैन्य बलों पर हमला करवाया है। यह हमारे लिए सही नहीं रहेगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखे प्रस्ताव पर कुछ बयान दे क्योंकि यह परिषद के सदस्यों के बीच का मामला है।”
सनद रहे कि अजहर के खिलाफ 13 मार्च, 2019 को जब यूएनसीएन की निर्धारित समिति में प्रस्ताव पारित नहीं हो सका तो अमेरिका ने यह कहा था कि वह दूसरे रास्ते पर विचार कर रहा है। फ्रांस की तरफ से भी यह कहा गया था कि वह जैश सरगना पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे विकल्पों में सहयोग करने को तैयार है।