अपनी दमदार एक्टिंग के बदौलत बॉलीवुड में एक नया मुकाम हासिल कर चुके हैं मशहूर कलाकार दिलीप कुमार की तबीयत इन दिनों ठीक नहीं चल रही है। हाल ही में मिले ताज़ा खबरों के अनुसार यह पता चला है कि दिलीप कुमार को अचानक लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
वही इस पर मीडिया के कुछ रिपोर्ट के अनुसार यह बात कही जा रही है कि बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दिलीप कुमार के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से उनके मौजूद हेल्थ की जानकारी दी गई है। वहीं इस मामले को लेकर यह बात सामने आ रही है कि “साहब, मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती हैं, सीने में दर्द और चेस्ट में इंफेक्शन की वजह से वो असहज महसूस कर रहे थे।
लीलावती अस्पताल के चिकित्सक दिलीप साहब के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं। दिलीप कुमार की उम्र 96 साल है। दिलीप कुमार काफी वृद्ध हो चुके हैं, वो आजकल सार्वजनिक मौकों पर नजर नहीं आते हैं।
अपने घर में ही रहते हैं, उनकी देखरेख पत्नी सायरा बानो करती हैं। पिछले कुछ महीनों में बॉलीवुड के कई दिग्गज दिलीप कुमार के घर जाकर उनकी सेहत का जायजा लेते रहे हैं।
दिलीप कुमार का जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान में) शहर में 11 दिसंबर, 1922 को हुआ था। उन्होंने 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से डेब्यू किया था।
क्रांति, मुगल ए आजम, देवदास, गंगा जमुना, मधुमती, नया दौर, कोहिनूर, राम और श्याम, आजाद, सौदागार आदि उनकी प्रमुख फिल्में हैं। उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए- इम्तियाज से नवाजा जा चुका है।
इससे पहले दिसंबर महीने में 94वर्षीय दिलीप कुमार को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब उनके दाहिने पैर में दर्द और सूजन की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
‘मुगले आजम’, ‘मधुमती’, ‘देवदास’ और ‘गंगा जमुना’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपने यादगार अभिनय के लिए याद किए जाने वाले दिलीप कुमार गत दिसंबर को 94 वर्ष के हुए थे।
दिलीप कुमार का मूल नाम मुहम्मद युसूफ खान है। उनका जन्म पेशावर में 11 दिसंबर, 1922 को हुआ था। उन्होंने छह दशक में 60 से ऊपर फिल्मों में काम किया। उन्हें सर्वोत्तम अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार 1954 में मिला।
वे इस श्रेणी में कुल 8 बार यह पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। यही रिकॉर्ड शाहरुख खान के नाम भी है। दिलीप कुमार को 1991 में पद्मभूषण और 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया। वे 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए थे।