अयोध्या विवाद की सुनवाई अगले साल तक टालने के निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा कि इस मामले पर उन्हें जल्द निर्णय की उम्मीद थी लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे टालकर हमारे इंतजार को और लंबा कर दिया है।
संघ ने राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की मांग फिर दोहराई। संघ ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह राम मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन भी करेगा।
संघ ने कहा कि सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा यह कहे जाने पर कि हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं, इसे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने शुक्रवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘राम मंदिर के निर्माण की प्रतीक्षा लंबी होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को 7 साल हो गए हैं।
जब तीन जजों की पीठ बनी थी तो हमें उम्मीद थी जल्द इस पर कोई निर्णय आएगा। पर उस पीठ का कार्यकाल समाप्त हो गया।
कोर्ट ने फिर नए नामों की घोषणा कर दी और कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक के लिए उसे टाल दिया। हमें उम्मीद बंधी कि दिवाली से पहले कुछ शुभ समाचार मिल जाए। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई को ही अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया।’
जोशी ने कहा, ‘राम सबके हृदय में रहते हैं। भगवान मंदिर में रहते हैं। हम हर कीमत पर राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं। हम लगभग 30 सालों से मंदिर के लिए आंदोलन कर रहे हैं। कुछ कानूनी बाधाएं अवश्य हैं। हमें उम्मीद है कि कोर्ट हिंदू समाज की भावनाओं को समझकर न्याय देगा।’
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टालने के सवाल पर जोशी ने कहा, ‘यह कोर्ट का अधिकार है। उनके इस अधिकार हम टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन उनकी प्राथमिकताएं अलग होने वाले बयान पर हम सबको दुख है।
करोड़ों हिंदू समाज की भावनाओं की श्रद्धा से जुड़े इस मुद्दे पर जिस तरह से जवाब दिया इससे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था अदालत की प्रथामिकता में नहीं है, यह आश्चर्यजनक है।’
उन्होंने कहा, ‘हमने कभी भी अदालत की उपेक्षा नहीं की है। पर अदालत भी समाज की भावनाओं का सम्मान करे। हम संविधान का सम्मान करने वालों में से हैं। कोर्ट इस मामले को प्राथमिकता से ले।’
जोशी ने कहा कि अगर राम मंदिर पर कोई विकल्प नहीं बचता है तो सरकार को अध्यादेश पर विचार करना चाहिए। सरकार अगर अध्यादेश लाती है तब हम प्रतिक्रिया देंगे।
नरसिंम्हा राव सरकार के दौरान केंद्र ने जो हलफनामा दिया था उसपर काम होना चाहिए।
हलफनामा में सरकार ने कहा था अगर विवादित स्थल पर हिंदू धर्म से जुड़ा स्ट्रक्चर था तो इसे उन्हें ही सौंपा जाएगा। अब सब सबूत सबके सामने हैं। इसपर तुरंत फैसला होना चाहिए।’