केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्य सरकारें बढ़ा सकती हैं नकद। उन्होंने कहा कि सरकार के संसाधनों में सुधार आते ही बढ़ाई जा सकती है धनराशि।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिया है कि सरकार के संसाधन भविष्य में जैसे ही बढ़ेंगे वह छोटे किसानों के लिए हर महीने 500 रुपये की नकद धनराशि और बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें इसे अपनी आय संबंधी योजनाओं से संचालित कर सकती हैं।
जेटली ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का यह पहला साल है। पूरी उम्मीद है कि सरकार के संसाधनों में जैसे ही सुधार आएगा, इस धनराशि को बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6000 रुपये नकद देने की योजना के साथ ही खेती पर पड़ रहे दबाव को दूर करने के लिए सरकारी योजनाओं के तहत एक घर, सस्ता भोजन, स्वास्थ्य की मुफ्त देखभाल और अस्पताल का खर्च भी मुहैया कराया जा रहा है। उन्हें मुफ्त साफ-सफाई, बिजली, सड़क, गैस कनेक्शन, सस्ता कर्ज भी मुहैया कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने किसानों के बैंक खातों में 75,000 करोड़ रुपये देना शुरू किया है। और मेरे नजरिए से आने वाले सालों में यह धनराशि बढ़ेगी। और अगर राज्य सरकारें इस मद में धनराशि बढ़ाएं तो यह राशि तुरंत ही बढ़ेगी। कुछ राज्यों ने इस योजना में धनराशि को बढ़ाना शुरू भी कर दिया है। दूसरे राज्य भी देखा-देखी किसानों के लिए धनराशि बढ़ाएंगे।
जेटली ने कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह ‘नकारात्मकता के नवाबों’ से आह्वान करते हैं कि वह अपनी राज्य सरकारों में किसानों की आय योजना में धनराशि बढ़ा दें।
जीएसटी की ही तरह इसमें सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियों को जाहिर कर सकते हैं। सहयोगी संघीय ढांचे की भावना से यह एक केंद्र और राज्यों की योजना है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की ज्यादातर योजनाएं 60:40 के अनुपात में हैं। इसलिए इसकी आलोचना करने के बजाय किसानों की इस योजना को भी इसी अनुपात में साझा किया जा सकता है।
इस आधार पर राज्यों को अपना 40 फीसद योगदान तो देना चाहिए। जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अंतरिम बजट में घोषित किसान योजना की धनराशि को महज 17 रुपये प्रतिदिन गिनाने पर कड़ा प्रहार किया।
उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता को थोड़ी परिपक्वता दिखानी चाहिए। उन्हें अहसास होना चाहिए कि वह राष्ट्रीय चुनाव लड़ रहे हैं, किसी कालेज यूनियन का नहीं।
करीब 15 करोड़ किसानों के इस योजना से छूटने पर उन्होंने यूपीए शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने 70 हजार करोड़ के कृषि कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी। लेकिन वास्तव में इसके लिए केवल 52 हजार करोड़ रुपये ही जारी किए गए।
उसमें भी कैग के मुताबिक इस धनराशि का बड़ा हिस्सा व्यापारियों और कारोबारियों को दे दिया गया। यह अपने आप में एक बड़ा घोटाला साबित हुआ।
जेटली ने रोजगार रहित आर्थिक विकास के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में कोई बड़ा सामाजिक या राजनीतिक विरोध-प्रदर्शन न होने से साफ है कि सरकारी योजनाओं से रोजगार का सृजन हुआ है।
अगर कोई रोजगार न होता तो लोगों में रोष होता जो नजर आता। यह कैसे हो सकता है कि भारत में पिछले पांच सालों में एकाएक उत्पादन बढ़ता चला गया लेकिन कंपनियों में कर्मचारी आधे ही रहे।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जीडीपी बढ़ने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। नोटबंदी ने लोगों को अपना सारा कैश बैंकों में जमा करने के लिए बाध्य किया। स्थितियां बदलीं तो जीडीपी भी बढ़ा।
अमेरिकी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे 66 वर्षीय अरुण जेटली ने कहा कि संभवत: वह अंतरिम बजट की चर्चा का जवाब देने वाले भाषण के लिए भारत न लौट पाएं।
उन्होंने कहा कि उनका इलाज चल रहा है और यह सब डॉक्टरों पर निर्भर करता है कि वह उन्हें कब अस्पताल से छुट्टी देंगे।
मौजूदा हालत को देखते हुए मुझे लगता है कि पीयूष गोयल ही संसद में बजट चर्चा का जवाब देंगे। मोदी सरकार का छठा व आखिरी बजट रेल मंत्री और वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने ही पेश किया था।