बन गई ऐसी मच्छरदानी, अब मच्छर रह जायेंगे भूंखे।

बन गई ऐसी मच्छरदानी, अब मच्छर रह जायेंगे भूंखे।

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मच्छरों के काटने के कारण कई प्रकार के घातक बीमारियां हो जाती हैं। जिसको लेकर भारत के अलावा कई देशों में भी यह एक गंभीर विषय बना हुआ है। यह जानकारी प्राप्त हो रही है कि अब लोगों को मच्छरों से छुटकारा जल्द से जल्द प्राप्त होने वाला है।

इस विषय में यह जानकारी बताई जा रही है कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए दो तरह के कीटनाशक मिलाकर एक नई मच्छरदानी बनाई गई है।

साधारण मच्छरदानी की अपेक्षा नई मच्छरदानी में सोने वाले बच्चों में मलेरिया का खतरा 12 फीसद तक घट गया। मलेरिया के कारण होने वाले एनीमिया का खतरा भी 52 फीसद तक कम हो गया।

यही नहीं, जिन क्षेत्रों में नई मच्छरदानी का इस्तेमाल किया गया, वहां मलेरिया संक्रमित मच्छरों की संख्या भी 51 फीसद तक घट गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2016 में 91 देशों के 21.6 करोड़ लोग मलेरिया से संक्रमित हुए और करीब साढ़े चार लाख लोगों की जान चली गई।

इस मच्छरदानी में इस्तेमाल किया गया पाइरेथ्रायड जहां मच्छरों को दूर भगाने के साथ ही उन्हें मार देता है वहीं पाइरीप्रॉक्सीफेन के संपर्क में आने वाले कीट की जीवन अवधि और प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।

डरहम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता स्टीव लिंडसे कहते हैं, ‘यदि पूरे देश में यह परीक्षण किया जाता तो मलेरिया के मरीजों की संख्या 12 लाख तक घट जाती।’ शोध में शामिल अन्य वैज्ञानिकों ने बताया कि पारंपरिक मच्छरदानी में केवल पाइरेथ्रायड का इस्तेमाल किया जाता है।

ब्रिटेन के लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्ऱॉपिकल मेडिसिन और डरहम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में इस मच्छरदानी का परीक्षण किया। दो हजार बच्चों को दो साल तक नई मच्छरदानी का इस्तेमाल करने को कहा गया।

यह भी बताया जा रहा है कि मच्छरदानी बनाने के लिए दो कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया हैं। मलेरिया फैलाने वाली मादा एनाफिलीज मच्छरों ने इस कीटनाशक के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।