ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने बुधवार को संसद में जलियांवाला बाग के जघन्य नरसंहार पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि हमें गहरा अफसोस है कि यह दुखद घटना हुई।
बता दें कि इसी हफ्ते 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी है। यह दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माना जाता है।
दरअसल, इस नरसंहार की कहानी महात्मा गांधी द्वारा रोलेट एक्ट के विरुद्ध शुरू किए गए सत्याग्रह से भी जुड़ती है। सत्याग्रह की चिंगारी के असर पंजाब में आए दिन विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। महंगाई आसमान छू रही थी।
महामारी में काफी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। इस माहौल में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल डायर हर बगावत को कुचल देना चाहता था।
इन्हीं विरोधों के बीच अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को असहयोग आंदोलन के समर्थन में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जनरल डायर ने इस बाग के मुख्य द्वार को अपने सैनिकों और हथियारंबद वाहनों से अवरुद्ध कर दिया।
इसके बाद उसने अपने सिपाहियों को निहत्थी भीड़ पर गोलियां बरसाने का आदेश दिया। सिपाही बिना किसी चेतावनी के 10 मिनट तक लगातार गोलियां बरसाते रहे। इस हत्याकांड में करीब 1000 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 1500 से अधिक लोग घायल हो गए थे।