जगन्नाथ पुरी मंदिर के सामने बंद के दौरान हिंसा और उपद्रव के आरोप में 13 लोगों को आज गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को 11 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की गिरफ्त में आए उपद्रवियों की संख्या बढ़कर 24 हो गयी है।
इनमें सेवायत भी हैं। इनकी पहचान सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से हुई थी। 12 घंटे के लिए पुरी बंद के दौरान हुई हिंसा में 12 पुलिस वालों समेत 26 लोग घायल हो गए थे। आगजनी की घटनाएं भी हुई थी। यह हिंसा बीते बुधवार को हुई थी।
सेवायतों की मांग है कि लाइन लगाकर दर्शन व्यवस्था का आदेश वापस लिया जाए। सेवायतों को डोनेशन लेने का अधिकार मिलना चाहिए। रत्नभंडार की चाबी खोने के मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए।
स्वर्गद्वार का पुनरुद्धार किया जाए। सिद्धमहावीर रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज बनाया जाए। श्रीमंदिर परिसर पर सीढि़यों पर पिंडदान और श्राद्ध की परंपरा जारी रहनी चाहिए।
श्रीमंदिर क्षेत्र के सिंहद्वार थाने में ऐसी कई रिपोर्ट दर्ज हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा के कार्य में लगे जगन्नाथ सेना की ओट में श्रीमंदिर सुधार के सुझावों पर अमल करने के विरोधस्वरूप बुधवार को पुरी बंद के नाम पर भारी हिंसा हुई थी। पुलिस, बंदकारियों और मीडिया कर्मियों समेत 26 लोग चोटहिल हो गए। दुतरफा फायरिंग तक हुई।
अफरातफरी के माहौल में भक्तजन दिन भर भूखे प्यासे रहे। बाजार, वाहनों की आवाजाही बंद रही। सुधार अमल करने की पहल करने वाले श्रीमंदिर प्रशासन के कार्यालय में तोड़फोड़ करके उपद्रिवयों ने लूट लिया। यही नहीं राजस्व मंत्री महेश्वर महंति के आवास पर भी तोड़-फोड़ की।
दर असल सुप्रीमकोर्ट ने ओडिशा सरकार को श्रीजगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन में सुधार के लिए पुरी जिला जज के प्रस्तावों को लागू करने के निर्देश दिए थे। आए दिन होने वाली भक्तों की प्रताड़ना की शिकायत को लेकर दर्ज रिटपिटीशन सुनवायी में सुप्रीमकोर्ट के जज आदर्श कुमार गोयल व एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने आदेश दिया कि ओडिशा सरकार यह सुनिश्चित करे कि भक्तों से कोई जोर जबर्दस्ती ना हो। सुधार के लिए पुरी जिला जज द्वारा प्रस्तावित सिफारिशें लागू करे।
दइतापति निजोग के सभापति रामकृष्ण दास महापात्र का कहना है कि सेवायतों का आचरण और व्यवहार भक्तों को लेकर अच्छा होना चाहिए। वह कहते हैं कि जगन्नाथ जी का रीतिनीति बाकी मंदिरों से अलग है। दईतापति निजोग क सहमंत्री विश्ववसु विनायक दास महापात्र का कहना है कि सेवायतों को भी अपना पक्ष सुप्रीमकोर्ट के समक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।