ब्रेकिंग न्यूज़ : दिल्ली के पर्यावरण को लेकर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट।

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दिल्ली की हवा हुई जहरीली, आगे और बिगड़ने की आशंका
शहर में रविवार को पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के प्रदूषक कणों की मौजूदगी) का स्तर 143 पर पहुंच गया

दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणी के बीच रही। अधिकारियों ने चेताया है कि आने वाले दिनों में यह और ज्यादा खराब हो सकती है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी) के डेटा के मुताबिक, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कुल मिलाकर 292 दर्ज किया गया, जबकि केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली के अनुसार यह 318 दर्ज किया गया जो ‘अत्यंत खराब’ की श्रेणी में आता है।

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’ माना जाता है, 50 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’ श्रेणी का, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘अत्यंत खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है।

स्थिति के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता आगामी दिनों में बिगड़कर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच सकती है क्योंकि हवा भारी हो रही है और परिणामस्वरूप धुंध बन रही है।

फरीदाबाद और गुड़गांव में वायु गुणवत्ता सूचकांक जहां ‘अत्यंत खराब’ की श्रेणी में रहा, वहीं गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यह ‘खराब’ श्रेणी में रहा।

शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की चादर छाई रही और इस मौसम का अब तक का सबसे खराब एक्यूआई 324 दर्ज किया गया था।

सी.पी.सी.बी के डेटा के अनुसार, आनंद विहार, मुंडका, नरेला, द्वारका सेक्टर-आठ, नेहरू नगर और रोहिणी। इन सभी जगहों पर वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रही और इन जगहों पर प्रदूषण का स्तर गंभीर रूप ले सकता है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण सुरक्षा नियंत्रण प्राधिकरण (ई.पी.सी.ए) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की स्थिति पर चर्चा करने के लिए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।

ई.पी.सी.ए के एक सदस्य ने शुक्रवार को बताया कि स्थिति का जायजा लेने के बाद फैसला लिया गया कि उन इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां वायु गुणवत्ता ‘खराब’ या ‘बेहद खराब’ पाई गई।

शहर में रविवार को पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के प्रदूषक कणों की मौजूदगी) का स्तर 143 पर पहुंच गया। पीएम 10 के मुकाबले पीएम 2.5, जिन्हें ‘बारीक कण’ भी कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए अधिक गंभीर चिंता का मामला हो सकते हैं।

वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली के आंकड़े के अनुसार, पीएम 10 का स्तर दिल्ली में 269 रहा। पीएम 10 वे कण हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है।

सी.पी.सी.बी के एक अधिकारी ने बताया कि वायु गुणवत्ता खराब होने के पीछे वाहनों एवं निर्माण गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण तथा हवा की दिशा जैसे मौसमी कारक जिम्मेदार हैं। इस वक्त हवा पराली जलाने वाले इलाकों की ओर से आ रही है।

नासा द्वारा उपग्रह से ली गई तस्वीरों में पंजाब और हरियाणा में अनेक जगहों पर पराली जलाने के दृश्य दिखाई देते हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि शहर ‘जल्द ही गैस चैंबर’ में बदल जाएगा क्योंकि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों ने पराली जलाने वाले किसानों के लिए कुछ नहीं किया है।