राम मंदिर: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले संतों ने सरकार को किया आगाह, राष्ट्रपति से मिले
अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक सुनवाई शुरू होने से पहले संतों ने केंद्र की सत्तारूढ़ NDA सरकार को चेतावनी दी है।
दिल्ली में संतों की उच्चाधिकार समिति की हुई बैठक में संतों ने आगाह करते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अगर राम मंदिर का निर्माण नहीं होता है तो सत्तारूढ़ पार्टी (BJP) चुनाव हार सकती है।
हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक संतों ने धमकी दी है, ‘अगर सरकार डेडलाइन नहीं देती है तो आंदोलन और विद्रोह ही एकमात्र विकल्प बचेगा।’
आज शाम को ही महंत नृत्य गोपाल दास के नेतृत्व में संतों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिला। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है, ‘महामहिम अपनी सरकार को कहें कि वह अब कानून बनाकर राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करे। आज की परिस्थिति में यही समाधान उपयुक्त लगता है।’
श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज की अध्यक्षता में हुई संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में सभी संतों ने एक स्वर में मोदी सरकार से कहा कि वह जन्मभूमि पर अपने वचनानुसार संसदीय कानून बना कर राम मंदिर के मार्ग की बाधाओं को दूर करे।
VHP के बयान के मुताबिक स्वामी वासुदेवानंद और श्री विश्वेशतीर्थ महाराज ने स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री आवश्यकता पड़ने पर लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर कानून बनाएं और जन्म भूमि हिंदुओं के हवाले करें।
शुक्रवार को संतों की बैठक के दौरान विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मंदिर पर एक प्रस्ताव भी पास किया, जिसमें बहु-प्रतीक्षित राम मंदिर के निर्माण के लिए एक बिल लाने की मांग की गई है।
VHP के नेतृत्व में संतों के पैनल ने राम मंदिर निर्माण की डेडलाइन देने के लिए दबाव ऐसे समय में बनाया है जब कुछ दिन बाद 29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस पर सुनवाई शुरू होने वाली है।
परमानंद महाराज ने कहा कि बिल आने पर ही मालूम चलेगा कि असली राम भक्त कौन है। डॉ. राम विलास वेदांती, चिदानंद पुरी (केरल), स्वामी चिन्मयानंद व स्वामी अखिलेश्वरानन्द सहित देश से आए गुरुओं, महामंडलेश्वरों व अन्य धर्माचार्यों ने भी कानून बनाने की मांग का पुरजोर समर्थन किया है। VHP ने कहा है कि अनिश्चित काल के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया जा सकता है।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने भी हाल में कहा था, ‘यह हकीकत है कि राम मंदिर को तोड़ा गया था… हर किसी को इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए। भगवान राम हमारी (हिंदू) आस्था के प्रतीक हैं।
देश बिना किसी देरी के भव्य राम मंदिर का निर्माण देखना चाहता है। एक बार मंदिर बन गया तो आपसी विवाद (हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच) की बड़ी वजह हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।’