बड़ी खबर : आरबीआई की ओर से मिली खुशखबरी

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गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 6.25 फीसद कर दिया है।

महंगाई में आई कमी और अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़ी राहत देते हुए ब्याज दरों में कटौती की है।

गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 6.25 फीसद कर दिया है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने अपने मौद्रिक रुख को ”सख्त” से बदलकर ”सामान्य/न्यूट्रल” कर दिया है।

आरबीआई ने महंगाई के लिए 4 फीसद (+- दो फीसद) का लक्ष्य रखा है। ईंधन की कीमतों में गिरावट से देश की खुदरा महंगाई दर दिसंबर में घटकर 2.19 फीसद हो गई। नवंबर में यह 2.33 फीसद थी। पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर आरबीई के तय लक्ष्य से नीचे रही है।

ब्याज दरों को तय करने वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। ब्याज दरों में कटौती के बाद बैंक इंटरेस्ट में कटौती कर सकते हैं, जिसका फायदा ईएमआई के कम भुगतान के रूप में मिलेगा।

2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि देश में औसत महंगाई दर घटकर 4.6 फीसद हो गई है जो साल 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से किसी भी सरकार के कार्यकाल में सबसे कम है।

गोयल ने लोकसभा को बताया कि 2009 से 2014 के बीच महंगाई की औसत दर 10.1 प्रतिशत थी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में यह घटकर 4.6 प्रतिशत पर आ गई है। गोयल के अनुसार, दिसंबर 2018 में महंगाई दर दो फीसदी से थोड़ी अधिक थी।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी के 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और ‘कुछ हद तक जोखिम के साथ’ वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में इसके 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।

गौरतलब है कि पिछली बैठक में आरबीआई ने अपने ”सख्त” मौद्रिक रुख को जारी रखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। पिछली बैठक में बैंक ने रेपो रेट को 6.5 फीसद पर बरकरार रखा था। यह दूसरी बार था, जब आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया।

इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट को भी 6.25 फीसद, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 6.75 फीसद पर बरकरार रखा गया था। पिछली दोनों बैठकें पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल के कार्यकाल में हुई थी, जिसमें ब्याज दरों के मोर्चे पर कोई राहत नहीं दी गई थी।

‘निजी कारणों’ का हवाला देते हुए उर्जित पटेल के तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार ने पूर्व नौकरशाह शक्तिकांत दास को गर्वनर नियुक्त किया था।