बड़ी खबर : जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर आये चोंकाने...

बड़ी खबर : जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर आये चोंकाने वाले बयान।

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सियासत में कुछ भी असंभव नहीं। इसे सही साबित करते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। महबूबा ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को चिट्ठी लिखकर वक्त मांगा है। अपने पत्र में उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन का दावा किया है। साथ ही उन्होंने लिखा कि मेरे साथ 56 विधायक हैं।

पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफती ने राज्य में कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस के सहयोग से सरकार बनाने का अपना दावा राज्यपाल सत्यपाल मलिक को फैक्स के जरिए भेजा।

लेकिन राजभवन में यह फैक्स नहीं पहुंचा। इसका खुलासा खुद महबूबा मुफ्ती् ने किया और उन्होंने ट्वी्टर के जरिए इसकी पुष्टि करने के साथ ही समर्थन पत्र भी अपलोड किया है।

महबूबा मुफती ने लिखा है कि समर्थन पत्र को फैक्स के जरिए राजभवन भेजा गया, लेकिन फैक्स को वहां रसीव नहीं किया गया। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया,लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए। अब यह पत्र ईमेल की जरिए भेजा गया है। उम्मीद है कि मिला गया होगा।

इससे पहले एक दूसरे की कट्टर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जम्मू-कश्मीर में दोबारा सत्तासीन होने से रोकने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर गठजोड़ सरकार बनाने एकजुट हो गए हैं।

सिर्फ औपचारिक एलान और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला ही शेष है। मंगलवार से पीडीपी में बगावत की खबरों के बीच सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला और तीनों दलों के एक साथ आने की अटकलें शुरू हो गई।

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने करीबियों के जरिए नेकां नेतृत्व और कांग्रेस आलाकमान से संपर्क किया। इसके बाद बुधवार शाम को ममबूब सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली रवाना हो गईं।

इससे पहले बुधवार सुबह पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की।

इसी दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और सचिन पायलट से उमर अब्दुल्ला का कथित तौर पर संवाद हुआ। सैद्धांतिक तौर पर तीनों दल एक मंच पर जमा होकर सरकार बनाने के लिए सहमत हो चुके हैं।

अनुच्छेद 35ए के संरक्षण के लिए कर रहे गठजोड़: बुखारी
पीडीपी नेता सईद अल्ताफ बुखारी ने उमर से मुलाकात की पुष्टि करते हुए कहा कि पीडीपी, कांग्रेस व नेकां के सभी वरिष्ठ नेता आपस में संपर्क में हैं।

नेताओं के स्तर पर गठबंधन तय हो चुका है। हमारे पास साठ विधायक हैं, जो एक साझा मंच पर हैं। उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 के संरक्षण के लिए हो रहा है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभी सरकार बनाने वाली स्टेज नहीं है, एक सुझाव के तौर पर बातचीत अभी चल रही है। हम सभी नेशनल काफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी यह सोच रहे हैं कि क्यों न मिलकर सरकार बनाएं। बातचीत चल रही है।

नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि हमने तो वर्ष 2014 में भी भाजपा को राज्य में अपने पैर जमाने से रोकने के लिए पीडीपी को समर्थन की पेशकश की थी। उस समय उसने हमारे समर्थन से मना कर दिया था।

हालांकि हम चाहते हैं कि राज्य में जल्द नए चुनाव हों, लेकिन जम्मू कश्मीर व इसके अवाम के हितों की खातिर हम उसका साथ दे सकते हैं। अंतिम फैसला नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और पार्टी कोर समूह ही लेगा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि नेकां, कांग्रेस व पीडीपी किसी भी तरह से राज्य व राष्ट्र के लिए नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर में हालात बिगाड़ने के लिए पाकिस्तान के इशारे पर जमा हो रहे हैं। दुबई में बैठा एक कश्मीरी नेता मध्यथ की भूमिका निभा रहा।

87 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों का समर्थन जरूरी है। भाजपा के पास 25 और सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायक हैं। पीडीपी के 28, नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों के अलावा पांच अन्य हैं।

जानें, नेकां-पीडीपी-कांग्रेस की गठजोड़ में क्या स्थिति हो सकती है
नेकां, पीडीपी व कांग्रेस अगर आपस में मिलें तो कुल विधायक 55 होंगे। इनमें अगर पीडीपी के पांच बागी विधायको को निकाला जाए तो 50 रहेंगे, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी 44 विधाायकों से ज्यादा हैं।

इसके अलावा माकपा, पीडीएफ के एक-एक विधायक के अलावा जंस्कार के निर्दलीय विधायक और लंगेट से निर्वाचित निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद भी इनके साथ जाएंगे।

नेकां, पीडीपी व कांग्रेस के गठजोड़ की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती का नाम सबसे आगे लिया जा सकता है, लेकिन न पीडीपी कभी चाहेगी कि उमर गठजोड़ की सरकार में मुख्यमंत्री बनें और न नेकां मुख्यमंत्री पद के लिए महबूबा को समर्थन दे सकती है। ऐसे हालात में गैर मुफ्ती और उमर व फारूक के अलावा अन्य कोई नेता ही मुख्यमंत्री बनेगा, इसकी संभावना ज्यादा है।

इनमें पीडीपी की तरफ से सईद अल्ताफ बुखारी का नाम लिया जा रहा है, जबकि नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से डॉ. मुस्तफा कमाल, अली मोहम्मद सागर और अब्दुल रहीम राथर के नाम आगे हैं।

कांग्रेंस की तरफ से जीए मीर का नाम है। अगर पीडीपी-कांग्रेस दोनों सरकार में रहते हैं और नेकां बाहर से समर्थन करते हुए कहती है कि वह किसी गैर पीडीपी नेता को मुख्यमंत्री चाहती है तो जीए मीर मुख्यमंत्री बनेंगे और यही स्थिति तब हो सकती है जब नेकां-कांग्रेस के गठजोड़ को पीडीपी बाहर से समर्थन देते हुए गैर नेकां नेता को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त रखे।

इन तीनों दलों के गठजोड़ में अगर जम्मू व लद्दाख की सियासत को ध्यान में रखना होगा तो देवेंद्र सिंह राणा व रिग्जिन जोरा पर भी बतौर उपमुख्यमंत्री दांव लगाया जा सकता है।

पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को आगे रखकर भाजपा द्वारा पीडीपी व नेकां में सेंध लगाकर नई सरकार बनाने की हलचल शुरू हुई तो नेकां व पडीपी भी सक्रिय हो गई।

गत मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी केवरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी लोन के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे के गठन का स्वागत करते हुए कहा था कि वह भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को वरिष्ठ नेता और सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग के दिल में सज्जाद लोन के लिए मुहब्बत रास नहीं आई है। पार्टी ने बेग व उनके समर्थक विधायकों जिनमें जावेद हुसैन बेग, मौलाना इमरान रजा अंसारी, आबिद अंसारी,अब्बास वानी के अलावा दो एमएलसी यासिर रेशी व सैफुद्दीन बट के खिलाफ कार्रवाई का फैसला कर लिया है।

इन सभी को संगठन से बाहर करने पर मंथन हो रहा है। बताया जाता है कि पार्टी अध्यक्ष महबूबा बेग के निष्कासन की स्थिति में पार्टी में विभाजन की आशंका से परेशान हैं और बीच का रास्ता निकालने के पक्ष में हैं।

राज्य में इस वर्ष 16 जून को भाजपा के समर्थन वापस लेने से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिर गई थी। इसके बाद से ही राज्यपाल शासन लागू है।

राज्य विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, उसे निलंबित रखा गया है, लेकिन किसी भी दल के पास सरकार बनाने लायक स्पष्ट बहुमत नहीं है।

सरकार का गठन न होने की स्थिति में अगले माह 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह माह पूरे होते ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा, क्योंकि राज्य संविधान के मुताबिक जम्मू कश्मीर में छह माह से ज्यादा समय तक राज्यपाल शासन लागू नहीं रखा जा सकता।