ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का विरोध करेगी और इस मुद्दे के समर्थन पर राज्यसभा में वोटिंग नहीं करेगी।
तीन तलाक के मुद्दे पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू केंद्र की बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ नहीं है। पार्टी ने साफ कहा है कि अगर राज्यसभा में इस मुद्दे पर वोटिंग हुई तो पार्टी इसके समर्थन में वोट नहीं करेगी। इससे पहले भी पार्टी ने लॉ कमीशन को पत्र लिखकर अपनी बात बता दी थी।
जदयू की बिहार इकाई के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में कहा कि ट्रिपल तलाक के पक्ष में हम लोग अभी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि एक बड़े समुदाय की परम्परा में कुछ तौर-तरीक़े बने हुए हैं और इस ट्रिपल तलाक से लाखों महिलाएं प्रभावित होंगी।
सिंह ने कहा कि इस पर उस समुदाय के लोगों से उनकी भावनाओं के साथ बातचीत करके एक समाधान निकालना चाहिए। मैं इसलिए मानता हूं कि वर्तमान स्वरूप में ट्रिपल तलाक के हम लोग पक्षधर नहीं हैं। उनकी पार्टी वोटिंग के समय क्या करेगी? इस सवाल पर सिंह ने कहा कि हम समर्थन में वोट नहीं करेंगे।
इस मुद्दे पर पार्टी के प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि हमने अपना पक्ष लॉ कमीशन को बता दिया है। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आबादी की धार्मिक भावनाओं और आस्था के साथ खेल नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, बिहार में सरकार महिलाओं के लिए खासकर परित्यक्त महिलाओं के लिए इतने सारे काम कर रही है। एेसे में पार्टी का स्टैंड साफ है।
बता दें कि लोकसभा में भी इस मुद्दे पर बहस के दौरान जदयू के दोनों सांसद चुप रहे और वोटिंग में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन वहीं बिहार में भाजपा नेताओं ने जदयू का साथ देते हुए कहा कि जदयू का यह स्टैंड तो पुराना है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
वहीं, जदयू द्वारा तीन तलाक बिल का विरोध करने पर बीजेपी सांसद सीपी ठाकुर ने कहा कि तीन तलाक बिल पर वोट बैंक की राजनीति हो रही है। कुछ राजनीतिक पार्टियों को लगता है कि अगर वह तीन तलाक बिल का समर्थन करेंगे तो उन्हें एक विशेष समुदाय का वोट नहीं मिलेगा।
वहीं, इस पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने कहा कि जदयू ने भी जता दिया है कि एनडीए में सब लोग भाजपा के साथ नहीं हैं. अपना दल और राजभर पहले ही बीजेपी के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं।
बता दें कि इससे पहले भी विधि आयोग द्वारा इस मुद्दे पर राय मांगी जाने पर नीतीश कुमार ने लिखित रूप में इस मुद्दे पर अपना विरोध प्रकट किया था। उनका कहना था कि सरकार द्वारा किसी संप्रदाय विशेष पर ऐसी कोई नीति थोपी नहीं जानी चाहिए जब तक कि उस समुदाय में उस इस मुद्दे सर्वसहमति न बन जाए।