भारत का सही इतिहास

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भारत का सही इतिहास

पहले धरती के सात द्वीप थे… जम्बू.. प्लक्ष.. शाल्मली.. कुश.. क्रौंच..शाक एवं पुष्कर…

इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है..

राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे…||

*जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं.. इलावृत.. भद्राश्व..किंपुरुष.. भारत.. हरि.. केतुमाल..रम्यक.. कुरु और हिरण्यमय…

इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था..

भारतवर्ष के 9 खंड हैं..

इसमें इन्द्रद्वीप.. कसेरु.. ताम्रपर्ण.. गभस्तिमान.. नागद्वीप.. सौम्य.. गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है..

भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए…||

ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना और सभ्य होना सीख रहे थे..

……… तो दूसरी ओर भारत में विक्रमादित्य.. पाणीनी.. चाणक्य जैसे विद्वान व्याकरण और अर्थशास्त्र की नई इमारत खड़ी कर रहे थे..

इसके बाद आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे विद्वान अंतरिक्ष की खाक छान रहे थे…||

वसुबंधु.. धर्मपाल.. सुविष्णु.. असंग..धर्मकीर्ति.. शांतारक्षिता.. नागार्जुन.. आर्यदेव.. पद्मसंभव जैसे लोग उन *विश्वविद्यालय* में पढ़ते थे.. जो सिर्फ भारत में ही थे.. तक्षशिला.. विक्रमशिला.. नालंदा आदि अनेक विश्व विद्यालयों में देश विदेश के लोग पढ़ने आते थे…||

हमारे इतिहास को पहले अंग्रेजों ने फिर आजादी के बाद नेताओं ने और कथित बुद्धि जीवियो ने मिलकर 70 सालों में भारत के इतिहास के असली पन्ने कैसे फाड़े और क्या क्या जोड़ा देखिये…

1) भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू नही होता बल्कि सरयू तट से शुरू होता है जहाँ महर्षि मनु को अपने मनुष्य होने का ज्ञान हुआ और मानव सभ्यता विकसित हुई।

2) रामायण और महाभारत हिन्दुओ के धर्मग्रंथ हो सकते थे पर शैक्षिक रूप से ये भारत का इतिहास है, जिन्हें पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया।

3) सिंध को अरबो ने जीता अवश्य था मगर बप्पा रावल ने उन्हें मार मार कर भगाया भी था, मगर सिर्फ अरबो की विजय पढ़ाई जाती है और बप्पा रावल को कहानी किस्सों के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

4) व्यवस्था के अनुसार सम्राट पोरस ने सिकन्दर को रोका यह पढ़ाना आवश्यक नही था लेकिन अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलों को रोका ये बात याद से लिखी गयी।

5) बाबर से औरंगजेब तक हर बादशाह के लिये अलग अध्याय है जबकि भारत गौरव शाली भारत पर कुछ नही।

6) मुगलो का 1707 तक का तो इतिहास बता दिया मगर बड़ी ही चतुराई से उसके बाद सीधे 1757 का प्लासी युद्ध लिखकर अंग्रेजो को ले आये। इतनी जल्दी क्या थी जनाब, जरा 1737 में पेशवा बाजीराव द्वारा मुगलो की धुलाई भी पढ़ा देते।

7) 1757 में मुगल सल्तनत का मराठा साम्राज्य में विलय हो गया था मगर जबरदस्ती उसका अंत 1857 मे पढ़ाया जाता है। 1757 से 1803 मुगल मराठा साम्राज्य के अधीन रहे और 1803 से 1857 अंग्रेजो के। 1757 के बाद कोई मुगल सल्तनत नही थी।

8) पानीपत में मराठो की हार हुई ठीक है मगर ये उनका अंतिम युद्ध नही था वे दोबारा खड़े हुए और अंग्रेजो को भी धो दिया, ये कब पढ़ाओगे??? सिर्फ पानीपत पढ़ा दिया ताकि संदेश यह जाए कि हिन्दुओ ने हर युद्ध हारा है जबकि युद्ध के बाद महादजी सिंधिया ने अफगानों को जमकर कूटा था।

9) जितने कागज बलबन, फिरोजशाह तुगलक और बहलोल लोदी पर लिखने में बर्बाद किये उन कागजो पर महादजी सिंधिया, नाना फडणवीस और तुकोजी होल्कर का वर्णन होना चाहिए था।

10) भारत ब्रिटेन का गुलाम नही उपनिवेश था।

11) भारत 200 नही 129 वर्ष ब्रिटेन की कॉलोनी रहा, (1818 में मराठा साम्राज्य के पतन से 1947 में कांग्रेस शासन तक)

12) आंग्ल मराठा युद्ध 1857 की क्रांति से भी बड़े थे इसलिए उनका विवरण पहले होना चाहिए मगर गायब है क्योकि बखान टीपू सुल्तान का करना था।

13) 1947 में 2 राष्ट्रों का उदय नही हुआ बल्कि एक ही का हुआ, हिंदुस्तान सदियों से उदित है और हमेशा रहेगा। ज्यादा सेक्युलर हो तो दूसरे आतंकी राष्ट्र की चिंता करो, नक्शे पर कुछ ही दिन का मेहमान है।

14) 1962 में भारत चीन से पराजित हुआ मगर 1967 में चीन को हराया भी, वो कौन पढ़ायेगा???

15) सामाजिक विज्ञान में एक पाठ आता है भारत और आतंकवाद, उसमे बड़े बड़े उदाहरण बताए जाते है मगर उनके पीछे का इस्लामिक कारण नही पढ़ाया जाता।

कुल मिलाकर भारत भूमि के साथ बहुत आघात किया है “ सेकुलर “ राजनीतिक दलों ने मिलकर, हमारी पीढ़ियों को झूठा इतिहास पढ़ाकर स्वाभिमान शून्य करने का सुनियोजित षड्यंत्र किया गया.

70 वर्षो तक स्कूलों में झूठा इतिहास पढ़ा-पढ़ा कर हिन्दुओ की तीन पीढ़ियों को स्वाभिमान शून्य कर दिया जिसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है.

हिन्दू देश-धर्म और अपने इतिहास से अनजान हो गया और यही उद्देश्य था चन्द नेताओं का और कथित बुद्धि जीवियो का।