मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छी खबर।

मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छी खबर।

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भारत में शुगर रोगियों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है और ऐसे में यह फल मरीजों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

मधुमेह यानी शुगर की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब चीन का फल शुगर से निजात दिलाएगा और लोग स्वस्थ्य रहकर जीवन जी सकेंगे।

जी हां! यह संभव हुआ है सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी) के वैज्ञानिकों की बदौलत।

संस्थान के विशेषज्ञों ने चीन में पाये जाने वाले मोंक फ्रूट को पालमपुर में तैयार किया है। इस फल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चीनी से 300 गुना अधिक मीठा है और यह कैलोरी फ्री है और शुगर के मरीजों के लिए रामबाण है।

सीएसआइआर ने इस प्रोजेक्ट पर काम एक साल पहले शुरू किया था। अब स्टीविया की तरह मोंक फ्रूट चीनी के रूप में बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होगा।

इस फल को खाने से शुगर होने की संभावना नहीं रहती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में शुगर रोगियों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है और ऐसे में यह फल मरीजों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

सीएसआइआर के वैज्ञानिकों के अनुसार, मीठेपन को अपने आप में समेटे इस फल को अब लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य किया जाएगा।

सीएसआइआर-आइएचबीटी अब इस फल को उगाने के लिए किसानों को भी देगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। कई खासियतों को खुद में समेटे हुए यह फल बाजार में अच्छे दाम पर बिकेगा।

सीएसआइआर आइएचबीटी ने नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लान जेनेटिक रिसोर्स (एनबीपीजीआर) की अनुमति के बाद ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था।

अब पालमपुर में मोंक फ्रूट उगाया है। सीएसआइआर ने इस फल के पौधे उगाने की तकनीक भी अपने स्तर पर तैयार की है।

सीएसआइआर ने पहले स्टीविया पर शोध किया था और यह भी शुगर रोगियों के लिए कारगर है। मोंक फ्रूट स्टीविया के मुकाबले ज्यादा मीठा है।

भारत में शुगर रोगियों की संख्या करोड़ों में है। उनके लिए मोंक फ्रूट कारगर है। इसे खेतों में उगाने के लिए किया गया प्रयोग भी सफल रहा है।

अब हम प्रौद्योगिकी और बाज़ार तक इसे पहुंचाने पर काम करेंगे। उम्मीद है कि इस फल के उत्पाद चीनी के रूप में बाजार में उपलब्ध होंगे।