सारधा चिटफंड घोटाले मामले में बंगाल पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआइ के सामने पेश होना पड़ेगा। सीबीआइ की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राजीव कुमार को सीबीआइ के सामने पेश होना पड़ेगा।
हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार शिलांग में सीबीआइ के सामने पेश होंगे।
सुनवाई के दौरान सीजेआइ रंजन गोगोई ने सवाल पूछा कि कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार को पूछताछ में दिक्कत क्या है? चीफ जस्टिस ने कहा कि राजीव कुमार को पूछताछ के लिए सीबीआइ के समक्ष पेश होना चाहिए और जांच में सहयोग करना चाहिए।
सीजेआई ने कहा कि हम पुलिस आयुक्त को खुद को उपलब्ध कराने और पूरी तरह से सहयोग करने का निर्देश देंगे। हम बाद में अवमानना याचिका से निपटेंगे।
कोर्ट ने सीबीआइ की अवमानना याचिका पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को अवमानना नोटिस जारी किया। कोर्ट ने तीनों अधिकारियों से अवमानना पर 18 फ़रवरी तक जवाब मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि अगर जवाब देखने के बाद जरूरत लगी तो अधिकारियों को 20 तारीख को निजी तौर पर पेश होना होगा, अगर ऐसा होता है तो 19 को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सूचना दी जाएगी। अब मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
उधर, कोर्ट के फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘तथ्य देखने के बाद ही कुछ बोलूंगी। नैतिक रूप में ये हमारी जीत है।’
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करती हूं। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला नैतिक जीत है, बंगाल की जीत है, हमारी और आपकी जीत है।’
वहीं धरना जारी रखने के फैसले पर उन्होंने कहा कि वह अपने नेताओं से बात करके इस पर फैसला लेंगी। ममता ने यह भी कहा कि वह जल्दबाजी में कोई जवाब नहीं देगी। सीबीआइ बिना नोटिस के कमिश्नर के घर गई थी।
सारधा चिटफंड घोटाले मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ ने राजीव कुमार के खिलाफ हलफनामा दाखिल किया है। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर आरोप लगाया कि कई आपत्तिजनक सामग्री/पत्राचार हैं, जिन्हें सीबीआइ द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ वरिष्ठ राजनेताओं के खिलाफ जांच के दौरान एकत्र किया गया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ में सीजेआइ के अलावा जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।
पश्चिम बंगाल में रविवार को सीबीआइ अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने के मामले के बाद से इस मुद्दे की गूंज सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क और संसद तक सुनाई दी।
सोमवार को सीबीआइ ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर सबूत मिटाने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत से तत्काल सुनवाई की मांग की, लेकिन कोर्ट ने सुबूत मांगते ही मामले की सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दिया था।
कोर्ट ने मंगलवार को कहा था अगर इस बात का एक भी सबूत पेश किया जाता है कि पुलिस कमिश्नर ने साक्ष्य मिटाने के बारे में सोचा भी था, तो कोर्ट उनके खिलाफ इतना सख्त आदेश देगा कि वे पछताएंगे।
सीबीआइ की याचिका में कोलकाता में अराजकता की स्थिति बताते हुए कहा था कि राज्य पुलिस ने सीबीआइ अधिकारियों को निरुद्ध कर लिया था। उनके मोबाइल छीन लिये थे। इसके अलावा ज्वाइंट डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव का घर भारी पुलिस बल ने घेर लिया था, उनका परिवार घंटों दहशत में बंधक रहा।
सीबीआइ ने यह भी कहा है कि उसके पास इतनी पर्याप्त सामग्री है कि वह बिना वॉरंट के गिरफ्तार करने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है और कोलकाता पुलिस कमिश्नर कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
पुलिस कमिश्नर को सीबीआइ ने कई बार सम्मन भेजा, लेकिन उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया और गत रविवार को सीबीआइ अधिकारी अपने कर्तव्य निर्वाहन के लिए जब उनके घर गए तो पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया।
राज्य के टॉप अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग करते हुए सीबीआइ ने कहा है कि एजेंसी ने राजीव कुमार के व्यवहार के बारे में उन्हें बताया था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया बल्कि गत रविवार को मुख्यमंत्री के साथ पुलिस अधिकारी धरने में शामिल रहे।
सीबीआइ ने कहा है कि 9 मई, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी और पुलिस व सरकार से उसमें सहयोग करने को कहा था। सीबीआइ कोर्ट के आदेश पर जांच कर रही है।