हाल ही में प्राप्त जानकारी के मुताबिक महाराष्ठ्र में आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे मराठा बहुत जोरों शोरों से आंदोलन कर रहे है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में शिक्षा व सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे मराठा आंदोलनकारी पिछले 22 दिनों में करोड़ों रुपयों की सरकारी एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा चुके हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, पिछले करीब 22 दिनों से चले आ रहे मराठा आंदोलन के दौरान अब तक राज्य परिवहन की बसें फूंककर ही 50 करोड़ रुपयों से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया गया है। तोड़फोड़ के डर से गुरुवार को बंद के दौरान परिवहन विभाग ने अपनी बसें खड़ी ही रखीं।
जिसके कारण राज्य की आम जनता को तकलीफ का सामना करना पड़ा। औरंगाबाद के एमआईडीसी क्षेत्र में अपने उद्योग चला रहे उद्यमियों ने चेतावनी दे दी है कि यदि ऐसी ही स्थिति रही, तो वे अपने उद्योग औरंगाबाद से कहीं और ले जाने को मजबूर होंगे।
वहीं मराठा आंदोलनकारियों ने नौ अगस्त को आहूत बंद से पहले ही बंद शांतिपूर्ण रखने का आह्वान अपने समाज से किया था। इसके बावजूद गुरुवार को औरंगाबाद, पुणे, नासिक, मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे, पुणे के जिलाधिकारी कार्यालय एवं औरंगाबाद के वालुंज स्थित औद्योगिक क्षेत्र में जमकर हिंसा हुई। पुणे का जिलाधिकारी कार्यालय तो करीब नौ घंटे तक आंदोलनकारियों के ही कब्जे में रहा। औरंगाबाद के वालुंज स्थित औद्योगिक क्षेत्र के 60 से ज्यादा कारखानों में तोड़फोड़ कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।
उन्होंने भी माना कि उनके आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्वों ने घुसकर तोड़फोड़ की। मराठा आंदोलन के समन्वयकों ने भविष्य में रास्ते पर कोई आंदोलन न करने का संकल्प भी लिया। उनके अनुसार अब मांगें पूरी होने तक सभी जिलों में तहसील स्तर पर क्रमिक अनशन करके अपना विरोध व्यक्त करेंगे।
इसके अलावा 15 अगस्त से चूल्हे बंद करके अन्नत्याग आंदोलन किया जाएगा। गौरतलब है कि गुरुवार के आशीष गिरि नामक एक वकील ने भी आंदोलनों के दौरान होने वाली हिंसा पर उचित कार्रवाई करने के लिए मुंबई उच्चन्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है।
मराठा आंदोलन की अगुवाई कर रही संस्था मराठा क्रांति मोर्चा को भी अहसास हो गया है कि आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के कारण आंदोलन की छवि खराब हुई है। संगठन के संयोजक विनोद पाटिल ने माना कि उनके आंदोलन में कुछ बाहरी लोगों ने घुसकर हिंसा फैलाई। ऐसे लोगों को उचित दंड मिलना चाहिए। शुक्रवार को पुणे में मराठा समन्वयकों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के लिए खेद व्यक्त किया।