पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के सोमवार को हुए भारत बंद का मिला-जुला असर रहा। 21 विपक्षी पार्टियों के समर्थन से आयोजित इस बंद के दौरान हुए भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से कई राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ तो राजधानी दिल्ली और उत्तरप्रदेश में इसका आंशिक असर रहा। मगर तमाम विपक्षी दलों के बंद में शामिल होने से उत्साहित कांग्रेस ने अपने भारत बंद को असरदार करार दिया।
कैलास मानसरोवर यात्रा से लौटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बंद के विरोध मार्च की अगुआई कर मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही भारी वृद्धि के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया और पीएम की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठाए।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि अच्छे दिनों का वादा करने वाली सरकार जनता पर महंगाई का कहर बरपा रही है।
पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफे के खिलाफ भारत बंद के जरिये कांग्रेस ने विपक्षी पार्टियों को साथ लेकर भाजपा सरकार से सियासी मैदान में सीधे दो-दो हाथ करने का संदेश दिया।
कांग्रेस का यह भारत बंद इस लिहाज से सियासी रुप से अहम रहा कि पहली बार पार्टी ने जनहित के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ भारत बंद के हथियार का इस्तेमाल किया।
राहुल गांधी ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर कैलास मानसरोवर से लाये गए पवित्र जल को चढ़ाने के बाद पेट्रोल-डीजल की महंगाई के खिलाफ मार्च निकाला।
राजघाट से राहुल की अगुआई में विपक्षी नेताओं का विरोध मार्च रामलीला मैदान के निकट एक पेट्रोल पंप के सामने पहुंचा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा 16 विपक्षी दलों के नेता यहां बने मंच पर इकठ्ठे हुए।
राहुल गांधी ने कहा कि तेल कीमतों को रोकने में सरकार फेल हो गई है। परेशान जनता को राहत दिलाना तो दूर पीएम मोदी इस पर मुंह नहीं खोल रहे। विपक्षी पार्टियों की मौजूदगी से गदगद राहुल ने कहा कि अब एकजुट विपक्ष इस जनविरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जनता से महंगाई कम करने, युवाओं को रोजगार देने, किसानों की लाभकारी मूल्य देने, महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने समेत तमाम वादे कर पीएम मोदी सत्ता में आये थे और जनता ने उन पर विश्वास भी किया था।
मगर आज हालत यह है कि पीएम को जनता के दुख-दर्द का अहसास ही नहीं हो रहा। राहुल ने नोटबंदी की नाकामी से लेकर राफेल सौदे के कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया तो मोदी सरकार पर देश में हर जगह लोगों को आपस में लड़ाने का आरोप लगाया।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि सरकार ने चार साल में तमाम ऐसे फैसले किये हैं जिसने आम आदमी, गरीब, युवाओं और किसानों को चोट पहुंचायी है।
बंद के विरोध प्रदर्शन में शामिल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी तेल मूल्यों में भारी इजाफे को आम आदमी के साथ किसानों पर जबरदस्त वार करार दिया।
पवार ने इस बात पर भी जोर दिया कि विपक्षी दलों का भाजपा सरकार के खिलाफ यह अभियान पूरी शिद्दत से आगे भी जारी रहना चाहिए।
कांग्रेस के इस बंद को वैसे तो 21 पार्टियों का समर्थन मिला मगर 16 पार्टियों के नेता उसके विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के बंद में शामिल हुई।
समाजवादी पार्टी और बसपा के नेता रामलीला मैदान के मंच पर तो नहीं आए मगर उत्तरप्रदेश में अपना अलग-अलग विरोध प्रदर्शन कर बंद का समर्थन किया। तृणमूल कांग्रेस सीधे बंद में शामिल नहीं हुई मगर विरोध प्रदर्शन में ममता ने अपने नेता सुखेंदु शेखर राय को भेजा।
जबकि वामपंथी दलों ने भी बंद का समर्थन किया मगर कांग्रेस के मंच की बजाय जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, राजद के मनोज झा, जेडीएस के दानिश अली, आप के संजय सिंह सरीखे विपक्षी चेहरे कांग्रेस के बंद मार्च में शामिल हुए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कुछ विपक्षी दलों के सीधे शामिल नहीं होने के सवाल पर कहा कि इसमें सियासत पढ़ना बेमानी होगी क्योंकि सभी 21 पार्टियों ने इसका समर्थन किया था।
सपा-बसपा और वामदलों ने पहले ही अपना अलग-विरोध प्रदर्शन की बात कही थी। उत्तरप्रदेश में वाराणसी समेत कई जगहों पर सपा और बसपा के मित्र कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो बाकी भाजपा शासित राज्यों में भारत बंद का मिला-जुला असर दिखा।
वहीं, बिहार में भारत बंद के दौरान कई जगह हिंसक प्रदर्शन और आगजनी हुई। यहां एंबुलेंस के जाम में फंसने से एक बच्ची की मौत भी हो गई। बताया जा रहा है कि भारत बंद की वजह से एंबुलेंस को रास्ता नहीं मिल पाया।
रामलीला मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस दौरान मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल ने कहा ‘तेल की बढ़ती कीमतों पर पीएम मोदी एक शब्द नहीं बोलते हैं।
जो देश सुनना चाहता है उस पर मोदी कभी कुछ नहीं बोलते हैं। यहां तक कि दुष्कर्म, महंगाई और राफेल जैसे तमाम मुद्दों पर भी मोदी शांत हैं।’
राहुल ने कहा कि आज पूरा विपक्ष यहां एक साथ बैठा है। हम सब मिलकर भाजपा को हटाने का काम करेंगे। इस बीच जहानाबाद में बंद के कारण लगे जाम में एंबुलेंस फंसने के कारण एक बच्ची की मौत हो गई। भाजपा शासित राज्यों में से कांग्रेस के महाबंद का सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में देखने को मिला।
इससे पहले, कैलास मानसरोवर की यात्रा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। राहुल गांधी और विपक्ष के कई नेता राजघाट से मार्च कर रामलीला मैदान पहुंचे।
यहां सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शरद पवार, शरद यादव और गुलाम नबी आजाद समेत कई बड़े नेता मौजूद हैं।
बता दें कांग्रेस के अलावा डीएमके, एनसीपी, आरजेडी, सपा और एमएनएस सहित देश की करीब 20 विपक्षी पार्टियां विरोध-प्रदर्शन कर रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार बदलने का वक्त आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है। उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की है कि वे मतभेद भुलाकर एकजुट हों।
जहानाबाद में एक बच्ची की मौत, भाजपा ने विपक्ष को घेरा
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ बुलाए गए विपक्षी दलों के भारत बंद के दौरान कई हिंसक झड़पें देखने को मिली।
वहीं बिहार के जहानाबाद में भारत बंद के दौरान दो साल की बच्ची की मौत हो गई है। परिवारवालों का कहना है कि भारत बंद के कारण एंबुलेंस काफी समय तक फंसी रही। बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था।
वहीं इस घटना को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी दलों पर हमला बोला है। रविशंकर ने कहा ‘हर किसी को आंदोलन का अधिकार है, लेकिन आज क्या हुआ? पेट्रोल पंप और बसों में आग लगा दी गई। जहानाबाद में जाम में एंबुलेंस फंसने के कारण एक बच्ची की मौत हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’
कांग्रेस नेता की रैली के जाम से हुई थी बच्ची की मौत
गौरतलब है कि इससे पहले हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की साइकिल रैली के दौरान भी एक एंबुलेंस जाम में फंस गई थी। जिसके कारण एंबुलेंस में इलाज के लिए ले जाई जा रही बच्ची की मौत हो गई थी।
महाबंद को लेकर छत्तीसगढ़ में पार्टी को बड़ी रणनीतिक सफलता मिली है। राज्य में व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कामर्स ने बंद को समर्थन दिया।
चेंबर के समर्थन का ही असर रहा कि राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। यह संगठन अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाता रहा था। ऐसे में चेंबर के सहयोग से इस बंद को सफल बनाकर राज्य में कांग्रेस ने रणनीतिक रूप से बड़ी सफलता हासिल की है।
बंद की सफलता के लिए कांग्रेस नेताओं ने छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा से चर्चा की और चेंबर के पदाधिकारी व कार्यकर्ता राज्य में बंद के समर्थन में कांग्रेस के साथ सड़कों पर उतरे। कांग्रेस को चेंबर से समर्थन की आशा कम ही थी। चेंबर के ज्यादातर पदाधिकारी भाजपा से जुड़े हैं।
इससे पहले कई मुद्दों पर कांग्रेस ने बंद कराया। हर बार चेंबर ने समर्थन से इन्कार ही किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा- कांग्रेस जनता के साथ है और जनता कांग्रेस के साथ। भाजपा सरकार ने हमेशा जनता के साथ विश्वासघात किया है।
भारत बंद का कुछ राज्यों में असर देखने को मिल रहा है। बिहार में कई जगहों पर बंद समर्थकों ने ट्रेनों रोक दी है। बसों में भी तोड़फोड़ की गई है। पटना के कई इलाकों में बंद समर्थक उत्पात मचा रहे हैं। कई जगह गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए गए हैं।
लोगों को खदेड़ा गया है और पिटाई भी की गई है। पटना में बड़ी संख्या में बंद समर्थक भाजपा कार्यालय के सामने पहुंचे और नारेबाजी कर रहे हैं। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
यूपी में भी जगह-जगह कांग्रेसी कार्यकर्ता तेल कीमतों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर के नेतृत्व में दुकानें बंद कराई गईं।
वहीं समाजवादी पार्टी ने भी भारत बंद से अलग बढ़ती महंगाई और किसानों के मुद्दे को लेकर प्रदेशव्यापी धरने का एलान किया है। हालांकि बसपा ने कांग्रेस के भारत बंद के आह्वान पर चुप्पी साध ली है।
भाजपा शासित उत्तराखंड में भारत बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में पार्टी के पदाधिकारी और सदस्यों ने शहर में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान समर्थन में बाजार और दूसरे संस्थान बंद कराए।
वहीं कर्नाटक सरकार ने सोमवार को भारत बंद के मद्देनजर एहतियातन बेंगलुरु के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए अवकाश की घोषणा की। मंगलूरू में उपद्रवियों ने एक प्राइवेट बस पर पत्थर भी फेंके।