राजनीति के मैदान में हर कोई पार्टी है किसी ना किसी प्रकार से वोटरों को लुभाने में लगी ही रहती है। जिसका जीता जागता सबूत आने वाले चुनाव और गुजर चुके चुनाव में अक्सर देखने को मिला है।
इसी के साथ इस सिलसिले को जारी रखते हुए शिवसेना के वरिष्ठ नेता उद्धव ठाकरे मैं मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए एक नया और एक नया तरीका खोज निकाला है। अब इस बार वह आरक्षण के बहाने मुस्लिम वोटरों को लुभाएंगे।
कुछ ही सप्ताह पहले शिवसेना के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे शिवसेना को भाजपा से प्रखर हिंदुत्ववादी पार्टी बता रहे थे।
अब वही उद्धव ठाकरे मुस्लिमों के आरक्षण पर बात न करने के लिए न सिर्फ भाजपा की आलोचना कर रहे हैं, बल्कि मुस्लिमों को शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण देने का समर्थन भी कर रहे हैं।
उद्धव ने साफ कहा है कि यदि मुस्लिमों की तरफ से आरक्षण की तार्किक मांग उठती है, तो वे उसका भी समर्थन करेंगे। उद्धव के अनुसार मराठों के अलावा धनगर, मुस्लिम व अन्य समुदायों की आरक्षण की मांग पर पर विचार होना चाहिए। यदि राज्य और केंद्र सरकार ऐसा करती हैं, तो वे उनका समर्थन करेंगे।
उद्धव ठाकरे का यह बयान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को बहुत पसंद आया है। अक्सर भाजपा को आड़े हाथों लेने वाले असदुद्दीन ओवैसी की इस पार्टी के महाराष्ट्र से विधायक इम्तियाज़ जलील ने उद्धव के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा को इससे सबक लेना चाहिए।
जलील के अनुसार भाजपा ऐसा न करके उच्चन्यायालय के आदेश की अवहेलना कर रही है। क्योंकि मुंबई उच्चन्यायालय ने जहां मराठों को 16 फीसद आरक्षण देने का कानून ठुकरा दिया था, वहीं मुस्लिमों के लिए परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा में 5 फीसद आरक्षण देने के निर्देश दिए थे।
शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के जीवित रहते शिवसेना वास्तव में प्रखर हिंदुत्ववादी पार्टी मानी जाती रही है। 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद इसका श्रेय अपने शिवसैनिकों को देने वाले ठाकरे के बयान व उसके बाद मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों में शिवसेना की भूमिका ने इस धारणा को और पुष्ट किया था।
हालांकि पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शिवसेना कोटे से ही एक मुस्लिम शिवसैनिक साबिर शेख को श्रममंत्री बनाया गया था। लेकिन शिवसेना की प्रखर हिंदुत्व की छवि जस की तस रही थी। लेकिन अब वही शिवसेना मतों की होड़ में अपनी चिरपरिचित छवि तोड़ने को तैयार है।
कुर्ला जैसे मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाकों में जहां शिवसेना विधायक मंगेश कुडालकर रमजान के दिनों में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर मुस्लिमों को शुभकामनाएं देते दिखाई देते हैं, वहीं मुंबई महानगरपालिका चुनाव में शिवसेना का एकमात्र मुस्लिम विधायक उसी बांद्रा से चुनकर आता है, जहां ठाकरे परिवार का चर्चित बंगला ‘मातोश्री’ है।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों को आरक्षण देने की सिफारिश 2013 में डॉ.महमूदुर्रहमान कमेटी की रिपोर्ट में की गई थी। इसे ध्यान में रखते हुए तत्कालीन संप्रग सरकार ने मानसून सत्र में मराठों को 16 फीसद आरक्षण देने के साथ-साथ मुस्लिमों को भी 5 फीसद आरक्षण देने का अध्यादेश पारित कर दिया। यह अध्यादेश कानून में बदल पाता, उससे पहले ही संप्रग सरकार चली गई। नई आई भाजपानीत सरकार ने इस अध्यादेश को ठंडे बस्ते में डाले रखा।
इसकी अवधि समाप्त होने के बाद नया अध्यादेश आया। लेकिन उसमें सिर्फ मराठों को 16 फीसद आरक्षण की बात कही गई थी। मुस्लिम आरक्षण का कोई जिक्र ही नहीं था। हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछे गए एक सवाल पर उद्धव ठाकरे ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर भाजपा की इसी चुप्पी पर निशाना साधा है।