राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने गुरुवार को कहा कि देश को अपने राष्ट्रीय, राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 10 साल तक मजबूत, स्थिर और निर्णायक सरकार की जरूरत है। जबकि कमजोर गठबंधन देश के लिए बुरा साबित होगा।
ऑल इंडिया रेडियो द्वारा आयोजित सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान में डोभाल ने कहा कि पिछले चार साल में देश की राष्ट्रीय इच्छाशक्ति मजबूत हुई है। लोकतंत्र भारत की ताकत है और इसे बरकरार रखने की जरूरत है।
एनएसए ने कहा, ‘कमजोर लोकतंत्र देश को सॉफ्ट पावर बना सकता है और सॉफ्ट पावर में तब्दील होना अगले कुछ वर्षो के लिए देशहित में नहीं होगा। देश को कड़े फैसले लेने होंगे।
अगर देश सॉफ्ट पावर बन गया तो आपको समझौते करने पड़ेंगे। और जब आपको समझौते करने होते हैं तो आपका राजनीतिक अस्तित्व देशहित पर हावी हो जाता है।’
डोभाल ने कहा कि विभाजित राजनीति देश के सपनों को साकार करना असंभव बना देती है क्योंकि कमजोर सरकारें कड़े फैसले लेने में सक्षम नहीं होतीं।
भारत को आगे ले जाने के लिए कड़े फैसले जरूरी होंगे जो लोगों के हित में तो होंगे, लेकिन जरूरी नहीं कि वे लोकप्रिय भी हों। एनएसए ने कहा कि अस्थिर शासन से भ्रष्टाचार और व्यापक हितों पर स्थानीय राजनीतिक हितों को बढ़ावा मिलता है।
ब्राजील का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस देश का वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता ने उसके विकास को बाधित किया है।
उन्होंने कहा, ‘देखिए, चीन की अलीबाबा और अन्य कंपनियां किस तरह बड़ी बन गईं, चीन सरकार ने उन्हें कितना समर्थन दिया। हम चाहते हैं कि निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियां भी अच्छा प्रदर्शन करें और भारत के सामरिक हितों को बढ़ावा दें।’
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। तेल कीमतों पर उन्होंने कहा कि लोकप्रिय कदमों को राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हमारे लिए संकट है। इसलिए देश को उसका सामना करना ही होगा।
डोभाल ने कहा, फर्जी और झूठी कहानियों से जातीय, नस्ली हिंसा और दंगे फैलते हैं। ऐसी कहानियां देश को बहुत दुर्बल बना सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘हम पर जनता के प्रतिनिधियों का नहीं, उनके द्वारा बनाए गए कानूनों का शासन है, इसलिए कानून का राज बेहद अहम है।’