रेलवे ने बृहस्पतिवार से वंदे भारत की दोनो तरफ की बुकिंग खोल दी। जिसके बाद दिल्ली और वाराणसी दोनो तरफ की ट्रेनों के प्रति यात्रियों की अच्छी-खासी रुचि देखने को मिल रही है।
वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रति यात्रियों ने खासा उत्साह जताया है। इस ट्रेन के 17 फरवरी से होने वाले नियमित संचालन के लिए यात्री बढ़चढ़ कर बुकिंग करा रहे हैं।
रेलवे ने बृहस्पतिवार से वंदे भारत की दोनो तरफ की बुकिंग खोल दी। जिसके बाद दिल्ली और वाराणसी दोनो तरफ की ट्रेनों के प्रति यात्रियों की अच्छी-खासी रुचि देखने को मिल रही है।
बृहस्पतिवार को अपराह्न दो बजे तक नई दिल्ली से वाराणसी के लिए 22436 नंबर की ट्रेन में एक्जीक्यूटिव क्लास की 81 सीटों में से 37 सीटें बुक हो गई थीं। जबकि चेयरकार की 913 सीटों में से 280 भर गई थीं। यह तब है जब अभी ट्रेन चलने में दो दिन बाकी हैं।
इसी प्रकार 22435 नंबर की वाराणसी-नई दिल्ली ट्रेन में एक्जीक्यूटिव क्लास की 81 सीटों में से 49 सीटें बुक हो गई थीं। जबकि चेयरकार की 913 सीटों में से 223 सीटों पर यात्रियों के टिकट बुक हो गए थे।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यात्रियों के उत्साह को देखते हुए लगता है कि पहले दिन के कमर्शियल रन के लिए लगभग पूरी ट्रेन बुक हो जाएगी। यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वंदे भारत का किराया शताब्दी के मुकाबले लगभग 40 प्रतिशत अधिक है।
हालांकि कुछ लोग इसे शुरुआती कौतूहल का परिणाम बता रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि बाद में ऊंचे किराये और समय सारणी के कारण ट्रेन को शायद उतनी कामयाबी न मिले।
जिससे आगे चलकर रेलवे को किराये घटाने अथवा समय सारणी में संशोधन के लिए विवश होना पड़ सकता है। दिल्ली से वाराणसी के बीच सफर करने वाले एक व्यक्ति की टिप्पणी पर गौर करें तो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस व्यक्ति का कहना था कि दिल्ली से वाराणसी जाने वाले कम ही लोग इस ट्रेन को चुनेंगे। इस लिहाज से यह विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हो सकती है। लेकिन आम यात्री इसके बजाय रात की ट्रेन लेना पसंद करेगा ताकि सोते हुए सुबह वाराणसी पहुंच जाए।
उसका कहना था कि सुबह छह बजे चलने के लिए हवाई यात्रा की तरह चार बजे तड़के घर से निकलना पड़ेगा। इस ट्रेन के जरिए वाराणसी से उसी रोज वापस आना संभव नहीं है।
इसी प्रकार वाराणसी से वापस दिल्ली पहुंचने का रात 11 बजे का समय भी असुविधाजनक है। घर पहुंचते-पहुंचते एक बज जाएगा। इसके अलावा अनेक लोगों के लिए आठ घंटे बैठकर सफर करना भी कष्टकर साबित हो सकता है।