वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कांग्रेस पर किया दमदार पलटवार।

वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कांग्रेस पर किया दमदार पलटवार।

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कांग्रेस के सहयोगी शरद पवार ने पीएम मोदी की नीयत पर सवाल न उठाने की नसीहत दी है। शाह ने राहुल गांधी को शरद पवार पर यकीन करने की नसीहत दी।

राफेल समझौते को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के विवाद ने त्रिकोणीय मोड़ ले लिया है। जहां कांग्रेस पीएम मोदी पर लगातार हमला बोल रही है और उनकी नीयत पर सवाल उठा रही है।

वहीं कांग्रेस के ही सहयोगी नेता शरद पवार ने पीएम मोदी की नीयत पर सवाल न उठाने की नसीहत दी है। शरद पवार का धन्यवाद करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी को शरद पवार पर यकीन करने की नसीहत दी है।

दरअसल, राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर लगातार हमला कर रही है। खुद कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी भी पीएम मोदी पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

ऐसे में यूपीए के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने राफेल को लेकर कांग्रेस के दावों की हवा निकाल दी है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी के इरादों पर शक नहीं किया जा सकता।

देश के पूर्व रक्षा मंत्री रहे शरद पवार ने मराठी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में राफेल सौदे की जानकारी को लेकर कांग्रेस की मांग पर सवाल उठाए। पवार ने कहा कि कांग्रेस की मांगों का कोई औचित्य नहीं है।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि फाइटर प्लेन की कीमतों का खुलासा करने से सरकार को कोई खतरा नहीं होता। उन्होंने कहा ‘निजी तौर पर मुझे लगता है कि लोगों को पीएम मोदी के इरादों पर कोई शंका नहीं है।’

शरद पवार के बयान को भाजपा ने हाथों-हाथ लपक लिया और कांग्रेस को अपने सहयोगी पर यकीन करने की नसीहत दे डाली। भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अमित शाह ने पीएम मोदी के समर्थन में बयान देने के लिए धन्यवाद भी दिया।

शाह ने ट्वीट किया, ‘दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सच बोलने के लिए पूर्व रक्षामंत्री और वरिष्ठ सांसद शरद पवार का धन्यवाद करता हूं। प्रिय राहुल गांधी, आपके अपने सहयोगी और पवार साहेब जैसे वरिष्ठ कद के नेता पर तो विश्वास करके बुद्धिमत्ता दिखा सकेंगे।’

राफेल सौदे पर भारत में चल रहे विवाद के बीच फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इससे किनारा कर चुके हैं। मैक्रों ने कहा है कि जिस वक्त भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील हुई वे सत्ता में नहीं थे।

मैक्रों ने कहा, ‘यह दो देशों की सरकार के बीच का सौदा था। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कुछ दिन पहले कही गई बात को ही दोहराऊंगा। मैं उस वक्त सत्ता में भी नहीं था। मैं जानता हूं कि हमारे यहां बड़े ही स्पष्ट नियम हैं।’

गौरतलब है कि भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल जहाज खरीदने का समझौता साल 2016 में हुआ था। उस वक्त मैक्रों नहीं बल्कि फ्रांस्वा ओलांद सत्तासीन थे।

ओलांद ने कुछ दिन पहले फ्रांस मीडिया को दिए एक बयान में ये कहकर भारत सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी थीं कि इस डील के ऑफसेट पार्टनर के रूप में उन्होंने रिलायंस को नहीं चुना बल्कि भारत सरकार की ओर से नाम आगे बढ़ाया गया।

हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि रिलायंस और दासौ के बीच के समझौते पर दासौ ही कुछ बता सकती है।