शादी में दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है घोड़े पर...

शादी में दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है घोड़े पर नहीं

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शादी में दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है घोड़े पर नहीं

शादी में दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है घोड़े पर नहीं, इसका क्या कारण है : हमने अक्सर ही शादियों में इस बात को नोटिस किया है कि दूल्हा अपनी दुल्हनिया को लेने के लिए घोड़ी पर बैठकर जाता है, लेकिन ऐसे क्यों होता है। इसके बारे में बेहद ही कम लोग जानते हैं। आज हम आपको अपने इस पोस्ट में इस बारे में कुछ जानकारी देने जा रहे हैं, जो लोग जानते नहीं उनको ये पता होना चाहिए।

शादी में दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है घोड़े पर नहीं।

लड़के हो चाहे लड़कियां सभी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि शादी के दिन पर दूल्हा घोड़ी चढ़कर ही अपनी दुल्हन लेने आता है। वैसे ये काफी हद तक लड़कियां बचपन से ही अपने सपनों के राजकुमार के बारे में सोचती हैं बातें करती हैं। वो हमेशा यही कहती हैं कि उनका राजकुमार घोड़ी पर चढ़ कर उनको लेने आएगा। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर शादी करने के लिए लड़के घोड़े पर ही क्यों आते हैं।

इसका संबंध हिंदू धर्म की कुछ पौराणिक कथाओं से है

दरअसल, इसका संबंध हिंदू धर्म की कुछ पौराणिक कथाओं से है। भगवान कृष्ण रुक्मणी का विवाह हो या राम सीता का। उस समय की परिस्थितियां युद्ध जैसी हुआ करती थी। यही वजह थी कि वह अपनी पत्नी को लाने घोड़ी पर जाया करते थे। यही से घोड़ी पर दुल्हन लाने की परंपरा की शुरुआत हुई। घोड़े को वीरता और शौर्य का प्रतीक माना जाता है तो वहीं घोड़ी को उत्पत्ति का कारक करार दिया गया है।

भारत में शादी भी एक उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि घोड़ी बुद्धिमान, चतुर और दक्ष होती है। भारत में शादी भी एक उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। यहां दुल्हे को राजा सा सम्मान दिया जाता हैं। शादी के समय लड़के मस्तक पर फूलों का सेहरा बांधकर घोड़ी पर चढ़ता है। इतना ही नहीं उसके हाथ में एक तलवार भी दिया जाता है। साथ ही इन दिनों में सभी परिवार एक साथ मिल कर जश्न मनाते हैं और उन दिनों में घर में माहोल ही कुछ अलग हो जाता है। सारे रिश्तेदार एक साथ मस्ती वाला माहोल काफी पसंद किया जाता है !