एक और जहां डॉक्टरों द्वारा आयोडीन युक्त सफेद नमक खाने की सलाह दी जाती है। जिससे शरीर में आयोडीन की हो रही कमी को दूर करने का रास्ता बताएं जाता है। वहीं दूसरी ओर हाल ही में एक शोध के द्वारा एक बेहद चौंकाने वाली ख़बर सामने आ रही है।
आईआईटी बॉम्बे के अध्ययन में कई नामी कंपनियों के नमक में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। आप जिस खाने में नमक का इस्तेमाल करते हैं उसमें प्लास्टिक तो नहीं..
ऐसा ना हो खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए आप जिस नमक का इस्तेमाल करते हैं वो ही नमक आपकी सेहत के लिए खतरनाक बन जाए।
जी हां.. दरअसल, देश में कई कंपनियों के नमक को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई हैं। इस रिपोर्ट को जानने के बाद आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।
आईआईटी बॉम्बे के अध्ययन में कई नामी कंपनियों के नमक में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। आईआईटी बॉम्बे के दो सदस्यों वाली एक टीम ने नमक को लेकर ये अध्ययन किया है।
माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में प्लास्टिक के बहुत छोटे कण होते हैं और इनका आकार पांच मिलीमीटर से भी कम होता है। पर्यावरण में उत्पाद के धीरे-धीरे विघटन से इनका निर्माण होता है।
आईआईटी बॉम्बे के सेंटर फॉर एनवायरमेंट साइंस एंड इंजीनियरिंग ने जांचे गए नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक के 626 कण पाये हैं। अध्ययन में कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के 63 फीसद कण छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में थे और 37 फाइबर के रूप में।
अध्ययन में कहा गया कि एक किलो नमक में 63.76 माइक्रोग्राम माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
इसमें ये भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति प्रति दिन पांच ग्राम नमक लेता है, तो एक साल में वो 117 माइक्रोग्राम नमक का सेवन करता है।