सावधान : बढ़ा स्वाइन फ्लू का खतरा, जारी किया अलर्ट।

सावधान : बढ़ा स्वाइन फ्लू का खतरा, जारी किया अलर्ट।

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जनपद में दो लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत और दो लोगों को बीमार होने का मामला सामने आया है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

इसके लिए मलेरिया विभाग दो दिन बाद पंपलेट, बैनर आदि प्रचार-प्रसार से लोगों को जागरूक भी करेगा। जिले में स्वाइन फ्लू से लोगों को बचाने के लिए मलेरिया विभाग ने अलर्ट किया है।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वीके श्रीवास्तव ने बताया कि मौसम में बदलाव से संक्रमण के कारण लोगों में बीमारियां फैल रही है।

वहीं स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए अलर्ट किया जा रहा है। साथ ही दो दिन बाद प्रचार-प्रसार कराने की तैयारी की जा रही है। हालांकि जिले में अभी तक जितने केस सामने आये हैं, उन्हें बाहर से संक्रमण लगने का मामला सामने आया है।

वहीं गुलावठी में मृतक को स्वाइन फ्लू की आशंका जताते हुए जांच कराने के लिए कहा था, लेकिन जांच नहीं हो पाई थी। इससे पहले ही उसकी मौत हो गई।

जिसके चलते स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि नहीं हो सकी। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

स्वाइन फ्लू क्या है—-

– यह सांस से जुड़ी बीमारी है, जो इंफ्लुएजा टाइप ए से होता है। इससे सुअर भी संक्रमित होते हैं।

– इसके लक्षण आम फ्लू से मिलते हैं, इसलिए इसकी पहचान खून की जांच से ही संभव है।

फैलने के कारण—–

– यह मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहल, रोगी के छूने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए

– इसका वाइरस प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक व हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है।

– जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है।

नवजातों के लिए है बेहद खतरनाक—–

– स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्ष्ण बुखार, खांसी, गले में खराश और बहती नाक है। अन्य सामान्य लक्षण मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और थकान है, जिससे बच्चे अक्सर रोते हैं।

– बच्चों को प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह उनके लिए काफी खतरनाक है।

– छह साल से कम उम्र के बच्चों को स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाना चाहिए। इसमें डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है।

इलाज–

– कुछ हद तक इसका इलाज संभव है। इसके मरीजों का उपचार टैमीफ्लू और रेलेंजा नामक वायरसरोधी दवा से शुरूआती में किया जा सकता है।

– डॉक्टरों के अनुसार, ये दवा इस फ्लू को रोक तो नहीं सकती पर इससे खतरनाक असर कम जरूर हो सकता है।

बचाव—-

– स्वाइन फ्लू से बचने के लिए स्वच्छता का पालन करना सबसे जरूरी है।

– भीड़-भाड़ वाली जगहों या सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें।- खांसते और छींकते वक्त मुंह और नाक को रूमाल या कपड़े से ढकें।

– स्वाइन फ्लू प्रभावित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें।