अब यह देखना होगा कि सरकार कैसे इस हमले के बाद राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से माहौल को साधती है और आतंकियों के इस कायकाना हरकत के जवाब में क्या कदम उठाती है?
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले के बाद केंद्र सरकार पर एक बार फिर से पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव है। इस कायराना फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के अब तक शहीद होने की खबर है।
अब यह देखना होगा कि सरकार कैसे इस हमले के बाद राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से माहौल को साधती है और आतंकियों के इस कायकाना हरकत के जवाब में क्या कदम उठाती है?
देश की सुरक्षा रणनीति के लिहाज से आने वाले कुछ दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इस हमले के बाद देश भर में गुस्से का माहौल है और हर कोई पाकिस्तान एवं आतंकियों को सबक सिखाने की मांग कर रहा है।
सितंबर, 2016 उरी हमले के बाद देश भऱ में गुस्से का माहौल था और सेना ने इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था।
अब तक की रिपोर्ट्स में इस अटैक में भी सीमा पार में प्रशिक्षित आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आ रही है।
ऐसे में आम चुनाव से ठीक पहले हुए इस हमले के बाद मोदी सरकार पर एक बार फिर से पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव होगा।
इस आतंकी हमले को घृणित करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
पीएम मोदी ने लिखा कि शहीद जवानों के परिजनों के साथ पूरा देश कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। घायल जवानों के जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद है।’
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने ट्वीट कर कहा कि एक सिपाही और भारत के नागरिक के तौर पर ऐसे खौफनाक और कायरतापूर्ण हमलों से मेरा खून उबलता है।
पुलवामा में सीआरपीएफ के बहादुर दिलों का अंत हो गया। मैं उनके निस्वार्थ बलिदान को सलाम करता हूं और ये वादा करता हूं कि हमारे सैनिकों के खून की हर बूंद का बदला लिया जाएगा।