अमृतसर ट्रेन हादसे को लेकर गरमाई सियासत, होगी बड़ी कार्रवाई।

अमृतसर ट्रेन हादसे को लेकर गरमाई सियासत, होगी बड़ी कार्रवाई।

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दशहरा के दिन जोड़ा रेल फाटक के हुए हादसे की जांच जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) के अधिकारियों ने शुरू कर दी है। डीजीपी सुरेश अरोड़ा के आदेश पर गठित एसआइटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

हादसे के प्रत्येक पहलू की जांच के लिए चार सदस्यों की एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) बनाई गई है। दूसरी ओर यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट और राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है।

राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर पंजाब सरकार, रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

दूसरी ओर, इस हादसे को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में इस हादसे की सीबीआइ जांच कराने की मांग की गई है।

बता दें कि 19 अक्‍टूबर को अमृतसर के जोड़ा रेल फाटक के पास दशहरा कार्यक्रम में रावण का पुतला दहन कार्यक्रम देख रहे लाेगों को एक डीएमयू ट्रेन ने रौंद दिया था।

ये लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर पुतला दहन कार्यक्रम देख रहे थे। इसी बीच तेज गति से ट्रेन अा गई और लोगों को रौंद दिया। इस घटना में 62 लोगों की मौत हो गई और करीब 143 लोग घायल हो गए।

डीजीपी ने एडीजीपी (जीआरपी) इकबाल प्रीत सिंह सहोता को एसआइटी बनाने के आदेश दिए थे। सहोता ने 62 लोगों की मौत के मामले में अफसोस जाहिर करते हुए बताया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा।

एसआइटी का नेतृत्व एआइजी दलजीत सिंह राणा करेंगे और डीएसपी सुरिंदर कुमार, एक इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर इसके सदस्य होंगे।

पुलिस कमिश्नर सुधांशु शेखर श्रीवास्तव के साथ एसआइटी के सदस्य सोमवार को जोड़ा फाटक पर पहुंचे। लगभग एक घंटे तक वहां लोगों से बातचीत की और घटनास्थल का मुआयना किया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी दर्ज किए गए।

जिला पुलिस ने सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान की तरफ से जारी किए गए आवेदन पत्र और पुलिस की तरफ से जारी की गई शर्तों के दस्तावेजों वाली एक कापी भी एसआइटी को सौंपी है।

पता चला है कि एसआइटी घटनाक्रम में रेलवे की तरफ से हुई लापरवाही पर भी जांच कर रही है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आदेश पर हादसे की मजिस्ट्रेट जांच भी हो रही है जिसकी रिपोर्ट चार सप्ताह में सौंपनी है।

एडीजीपी इकबाल प्रीत सहोता ने बताया कि डीएमयू के चालक की भूमिका की भी जांच होगी। घटना के बाद अकसर ट्रेन रोक ली जाती है, लेकिन इतनी मौतों के बाद भी ट्रेन नहीं रोकी गई।

यह भी पता किया जा रहा है कि आबादी स्थल से गुजरने वाले रेल ट्रैक पर ट्रेन की रफ्तार ज्यादा से ज्यादा कितनी होनी चाहिए। हादसे के दौरान रेल ट्रैक पर चढ़ने वाले लोग आरोपित हैं या नहीं, इसे भी जांच का हिस्सा बनाया जाएगा।

एडीजीपी ने बताया कि डीएमयू की गति का रिकार्ड भी रेलवे विभाग से तलब किया गया है। जोड़ा फाटक पर मौजूद गेट मैन से भी पूछताछ की जाएगी।

अगर मैदान में रावण दहन हो रहा था तो गेट मैन और ट्रैक पर चलने वाली गैंग ने इस बाबत रेलवे के अधिकारियों को जानकारी क्यों नहीं दी।

एसआइटी के एक सदस्य ने बताया कि घटनास्थल के आसपास काफी लोगों के घर हैं। उन घरों में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग दुर्घटना के साक्षी हैं। एक टीम को आदेश दिया गया है कि वह पता लगाए कि घटना के दौरान कितने लोग छतों पर थे।

इन लोगों की एक लिस्ट तैयार कर उनके बयान दर्ज किए जा सकते हैं। इससे दोषियों पर कानून का शिकंजा कसने में आसानी होगी।

उधर, इस मामले पर राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को कदम उठाया। आयोग ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सरकार और रेलवे से विस्‍तृत रिपोर्ट देने को कहा।

आयोग ने पंजाब सरकार, रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नो‍टिस जारी किया। आयोग ने पूरे घटनाक्रम पर चार सप्‍ताह में विस्‍तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

उधर, अमृतसर हादसे में हुई मौतों के मामले को लेकर सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका में इस हादसे की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है।

हरियाणा के गुरुग्राम के एक वकील द्वारा दायर की गई इस याचिका में पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्‍नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता ने रेल हादसे के पीड़ितों के नुकसान का आंकलन करवाए जाने की मांग है और पीडि़त परिवार को समुचित राहत दिलाने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया हे कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा जानव माल के नुकसान का आकलन करवाया जाए। एडवोकेट दिनेश डकोरिया द्वारा दायर की गई इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है।

इस मामले में पहले कहा गया कि कार्यक्रम के लिए आयोजकों ने प्रशासन और पुलिस से अनुमति नहीं ली गई है। बाद में खुलासा हुआ कि आयोजकों ने इसके लिए अनुमति ली गई थी। दूसरी ओर, रेलवे का कहना है कि कार्यक्रम के आयोजकों या स्‍थानीय प्रशासन ने उसे कोई सूचना नहीं दी।

दूसरी आेर, पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हादसे के लिए रेलवे को जिम्‍मेदार ठहराया है। सिद्धू का कहना है कि जोड़ा फाटक के पास स्थित धोबीघाट मैदान में हाे रहे दशहरा कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ थी और लोग मना करने के बावजूद रेलवे ट्रैक पर खड़े थे।

ऐसे में वहां रेलवे केबिन में तैनात कर्मचारी को चाहिए था कि वह ट्रेन को रुकवाता। सिद्धू का कहना है कि दूसरी ओर, आम तौर पर कम स्‍पीड में चलने वाली ट्रेन की रफ्तार उस दिन बेहद तेज थी।

62 मौतों की तीन महीने में जांच करेगी एसआइटी

-एसआइटी के सदस्यों ने जोड़ा फाटक घटनास्थल से जुटाए साक्ष्य
-दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा : एडीजीपी