सीखेः भारत की इस बेटी ने बढ़ाया देश का गौरव, जानने के...

सीखेः भारत की इस बेटी ने बढ़ाया देश का गौरव, जानने के लिए पढ़े।

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कौशल्या को छत्तीसगढ़ में लोग उड़नपरी के नाम से ही बुलाते हैं। मौसम कोई भी हो, कौशल्या गांव के कच्चे रास्ते पर सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक दौड़ती हैं।

गांव की पगडंडियों पर नंगे पैर फर्राटे भर स्वर्णिम उड़ान की तैयार कर रही यह ‘उड़नपरी’ छत्तीसगढ़ के एक गांव के मजदूर पिता की बिटिया कौशल्या है। वह देश के लिए मैराथन का स्वर्ण जीतना चाहती है। गांव की सख्त पगडंडियों पर नंगे पैर रोजाना 25 किलोमीटर दौड़ना आसान काम कतई नहीं है। लेकिन 20 साल की कौशल्या ध्रुव के अभ्यास का जरिया बस यही है।

राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न मैराथन प्रतियोगिताओं में वह छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर चुकी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतरने की तैयारी है। वह विदेशी सरजमीं पर तिरंगा लहराने को बेताब हैं। उनके इंतजार की घड़ियां भी अब समाप्त होने को हैं, क्योंकि आगामी 20 दिसंबर को कौशल्या वियतनाम में आयोजित होने जा रही दक्षिण-पूर्व एशिया मैराथन में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व करेंगी।

बेहद अभावों के बीच पली कौशल्या अपने गांव पाटनदादर में ही रहकर मैराथन की तैयारी कर रही हैं। उनके पिता मजदूरी कर किसी तरह घर का खर्च चलाते हैं। छह बहनों में कौशल्या सबसे छोटी हैं। घर की माली हालत बेहद खराब है।

किसी तरह दो जून की रोटी तो नसीब हो जा रही है, मगर मैराथन की तैयारी के हिसाब से जरूरी संसाधन और आवश्यक खुराक सपना ही है। कौशल्या बताती हैं कि उन्हें प्रोटीन आदि न मिलने का खामियाजा कई बार उठाना पड़ा है। हालांकि तिरंगे की छांव मिलते ही उनमें गजब का जोश व जज्बा भर जाता है।

उड़नपरी के नाम से पीटी ऊषा मशहूर रही हैं, लेकिन कौशल्या को छत्तीसगढ़ में लोग उड़नपरी के नाम से ही बुलाते हैं। मौसम कोई भी हो, कौशल्या गांव के कच्चे रास्ते पर सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक दौड़ती हैं। यह उनकी मैराथन की तैयारी का हिस्सा है। ओलंपिक में गोल्ड जीतना उनका सबसे बड़ा सपना है।

कौशल्या का सफर छोटी उम्र में 2009 में शुरू हुआ जब उन्होंने पहली बार जिला स्तरीय स्कूल मैराथन में हिस्सा लिया। कौशल्या राज्यस्तरीय व ऑल इंडिया के साथ ही ओपन नेशनल में पांच, 10 व 21 किलोमीटर मैराथन में प्रथम स्थान पा चुकी हैं।

अंतत: कर्नाटक में 21 किलोमीटर की नेशनल मैराथन में बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन 20 दिसंबर को वियतनाम में आयोजित होने वाली दक्षिण पूर्व एशिया मैराथन प्रतियोगिता के लिए हुआ।

2013 में कौशल्या ने 21 किलोमीटर की ऑल इंडिया मैराथन में 20वां स्थान हासिल किया था। 2016 में विजयवाड़ा में आयोजित नेशनल ओपन में दूसरा स्थान और फिर 2017 में 20 किलोमीटर नेशनल मैराथन में प्रथम स्थान। 2018 की ऑल इंडिया मैराथन में उन्हें पांचवां स्थान मिला।