बढ़ती गर्मी के बीच भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) का अनुमान है कि बृहस्पतिवार से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है।
दिल्ली में चुनावी तपिश के बीच गर्मी के साथ बढ़ते तापमान ने लोगों को बेहाल कर दिया है। वहीं, बढ़ती गर्मी के बीच भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) का अनुमान है कि बृहस्पतिवार से पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) सक्रिय हो सकता है। इसके प्रभाव से शुक्रवार से हल्के बादल छाए रहने और धूल भरी आंधी चलने की संभावना है।
दिल्ली वासियों को मंगलवार को तेज धूप और लू के थपेड़ों ने बेहाल कर दिया। इसके कारण अधिकतर लोग घरों में ही कैद रहे, लेकिन कामकाजी लोग घर से निकले। अभी दो दिनों तक लू के थपेड़ों से लोगों को और दो-चार होना पड़ेगा। हालांकि बृहस्पतिवार को पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के आसार हैं। इससे सप्ताहांत में गर्मी और धूप से कुछ राहत मिल सकती है। मंगलवार को दिन चढ़ने के साथ साथ धूप की चुभन भी बढ़ती गई और दोपहर में 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गर्म हवा चली।
मौसम विभाग के मुताबिक मंगलवार को अधिकतम तापमान 41.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री ज्यादा है। न्यूनतम तापमान 21.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो कि सामान्य से तीन डिग्री कम है। वायु में नमी का स्तर 29 से 71 फीसदी रहा।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) जिसको पश्चिमी विक्षोभ भी बोला जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। यह एक गैर-मानसूनी वर्षा का स्वरूप है जो पछुवा पवन (वेस्टर्लीज) द्वारा संचालित होता है।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर में अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के रूप में उत्पन्न होता है। यूक्रेन और उसके आस-पास के क्षेत्रों पर एक उच्च दबाव क्षेत्र समेकित होने के कारण, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों से उच्च नमी के साथ अपेक्षाकृत गर्म हवा के एक क्षेत्र की ओर ठंडी हवा का प्रवाह होने लगता है।
यह ऊपरी वायुमंडल में साइक्लोजेनेसिस के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न होने लगती है, जो कि एक पूर्वमुखी-बढ़ते एक्सट्रैटॉपिकल डिप्रेशन के गठन में मदद करता है। फिर धीरे-धीरे यही चक्रवात ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य-पूर्व से भारतीय उप-महाद्वीप में प्रवेश करता है।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ खासकर सर्दियों में भारतीय उपमहाद्वीप के निचले मध्य इलाकों में भारी बारिश तथा पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कृषि में इस वर्षा का बहुत महत्व है, विशेषकर रबी फसलों के लिए। उनमें से गेहूं सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में मदद करता है।
ध्यान दें कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम में आने वाले मानसून से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई सम्बन्ध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली सतह में होता है।
मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं। कभी-कभी इस चक्रवात के कारण अत्यधिक वर्षा भी होने लगती है जिसके कारण फसल क्षति, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन होने लगता है।