राफेल डील पर हुआ बड़ा खुलासा।

राफेल डील पर हुआ बड़ा खुलासा।

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रिलायंस एडीएजी समूह ने कहा है कि राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी की जानकारी पूरी तरह गलत है और तथ्यों को लेकर भ्रम में है।

समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि इस सौदे से उनकी कंपनी को हजारों करोड़ का फायदा होने की बात पूरी तरह काल्पनिक है।

पूरे पत्र में अंबानी ने सिलसिलेवार तरीके से राहुल गांधी की तरफ से लगाये जा रहे एक एक आरोपों का जवाब है। अनिल अंबानी ने यह भी कहा है कि भारत सरकार ने राफेल ने जो 36 युद्धक विमान खरीदने का फैसला किया है वे पूरी तरीके से फ्रांस में ही निर्मित होंगे।

उनका निर्माण रिलायंस और फ्रांस की कंपनी डसो मिल कर नहीं कर रही हैं। इसलिए उनकी कंपनी के अनुभवहीन होने का जो आरोप लगाया जा रहा है वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। अनिल अंबानी ने इस संबंध में पिछले साल दिसंबर में भी पत्र लिखा था।

बीते सप्ताह लिखे गए अपने पत्र में अंबानी ने यह भी लिखा है कि रक्षा मंत्रालय की तरफ से भी रिलायंस की किसी कंपनी को उक्त 36 विमानों से संबंधित कोई निर्माण का ठेका नहीं दिया गया है। ऐसे में उनकी कंपनी पर हजारों करोड़ रुपये का ठेका हासिल करने का जो आरोप लगाया जा रहा है वह बिल्कुल बेबुनियाद है।

अंबानी ने राहुल को स्पष्ट किया है कि उनकी कंपनी की भूमिका सिर्फ आफसेट निर्यातक के तौर पर है। इसका मतलब यह हुआ कि अंबानी की कंपनी राफेल के लिए कुछ उपकरण बना कर निर्यात करेगी, लेकिन विमान पूरी तरह से फ्रांस में ही तैयार होगा।

अंबानी ने लिखा है इस प्रक्रिया में कम से कम 100 छोटी व मझोली कंपनियां शामिल हो रही हैं जिनमें निजी व सरकारी क्षेत्र की कंपनियां भी हैं। सरकारी कंपनियों में बीईएल और डीआरडीओ भी शामिल हैं। यह देश में मैन्यूफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करेगा।

इस संदर्भ में अनिल अंबानी ने यह लिखा है कि आफसेट निर्यात की नीति तो पूर्व की यूपीए सरकार ने ही तैयार की थी और उसे बढ़ावा दिया था। उन्होंने राफेल डील से ठीक दस दिन पहले रिलायंस डिफेंस की स्थापना के आरोप को भी पूरी तरह से आधारहीन करार दिया है।

असलियत में रिलायंस डिफेंस की स्थापना दिसंबर, 2014 व जनवरी, 2015 में करने का फैसला किया गया था और इस बारे में शेयर बाजार को भी सूचित किया गया था।

वही इस मामले को लेकर राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर राजनीतिक विवादों में फंसी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने पूर्ण रुप से स्पष्ट किया है कि उसे रक्षा मंत्रालय से लड़ाकू विमानों का कोई अनुबंध नहीं मिला है।

कंपनी ने कहा है कि इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने के लिए जानबूझकर निराधार और गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। समूह ने विभिन्न सवालों का जवाब देते हुए कहां है कि फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट को 36 राफेल लड़ाकू विमान की आपूर्ति भारत सरकार को करनी है।

कंपनी ने ऑफसेट या निर्यात दायित्वों को पूरा करने के लिए भारत में रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को अपना भागीदार चुना है। विदेश कंपनी द्वारा भारत में भागीदार के चयन में रक्षा मंत्रालय की कोई भी भूमिका नहीं रही है।

रिलायंस डिफेंस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश धींगड़ा ने कहा है कि दोनों देशों की सरकारों के स्तर पर हुए समझौते के तहत उड़ान के लिए पूरी तरह 36 विमानों की सीधे आपूर्ति भारत को की जानी हैं।

इसका मतलब है कि उनका निर्यात फ्रांस के डिसाल्ट कंपनी द्वारा किया जाना है। इसमें एचएएम या अन्य किसी उत्पादन अन्य किसी एजेंसी की कोई भूमिका नहीं होगी। क्योंकि कोई विमान भारत में तैयार नहीं किया जाएगा।