ऐसे बच्चों से जितना अधिक हो सके, मेलजोल बढाएं।ऐसे लोग कई बार अपने गेम्स की दुनिया में इतना खो जाते हैं।एक समय के बाद बच्चों में नींद की समस्या होने लगती हैं।
ई गेम्स व एप्स ऐसे हैं जिनका जादू समय-समय पर बच्चों के सिर पर चढ़कर बोलता रहता है। किसी भी चीज की लत तब होती है, जब उसका जरूरत से अधिक इस्तेमाल होने लगे और जब उसके बिना जिंदगी में कुछ अधूरा सा लगने लगे। चाय-कॉफी के एडिक्शन की तरह ही अब लोगों को गेम्स का एडिक्शन भी होने लगा है।
सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक वे फोन या लैपटॉप की कैद में रहने लगे हैं। कुछ काम करते वक्त जरा से ब्रेक में भी कई लोग गेम्स खेलते हुए ही नजर आ जाते हैं। ऐसे लोग कई बार अपने गेम्स की दुनिया में इतना खो जाते हैं कि बस व ट्रेन में अपना स्टॉप या अन्य महत्वपूर्ण काम भी इन्हें याद नहीं रहते हैं। अगर इस स्थिति को समय पर नियंत्रित न किया जाए तो यह बेहद तनावपूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं क्या हैं इसके नुकसान और बचाव के तरीके।
क्या हैं इसके नुकसान
एकाग्रता में कमी आना : दिन-रात एक कर किसी गेम के लेवल्स को पार करते रहने से दूसरे कामों से मन भटकना बेहद सामान्य है। स्टूडेंट्स हों, नौकरीपेशा लोग हों या हाउसवाइव्स, जो भी किसी गेम की लत का शिकार होगा, वह किसी दूसरे काम में मन नहीं लगा पाएगा। कोई जरूरी काम करते समय भी उसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपने पसंदीदा गेम की दुनिया में ही लगा रहेगा, जिसका गलत असर उसके अन्य महत्वपूर्ण कामों पर भी पडता है।
नींद की समस्या होना : लगातार खेलते रहने के कारण एक समय के बाद लोगों को नींद से जुडी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। कभी नींद देर से आती है तो कभी वे रात को उठ कर खेलने लग जाते हैं। उनके लिए फोन पास में रख कर सोना भी एक मुसीबत है, अगर पानी पीने के लिए भी उनकी आंख खुलेगी तो वे उस गेम में व्यस्त हो जाएंगे, जिसके कारण उनकी नींद कई घंटों के लिए प्रभावित हो सकती है।
समाज से कटना : लगातार टेक्नोलॉजी के संपर्क में रहने से व्यक्ति अपने आसपास के लोगों से दूर होने लगता है। पार्टी या किसी और सामाजिक कार्यक्रम में होने पर भी वह अपने फोन में आंखें गडाए ही बैठा रहेगा। इससे उसके वहां होने या न होने का कोई खास मतलब नहीं रहता है। कुछ नहीं तो कई लोग फोटो एडिटिंग एप्स व फिल्टर्स की सहायता से सेल्फी लेते हुए नजर आते रहते हैं। यह भी एडिक्शन की श्रेणी में आता है।
चिडचिडापन होना : गेमिंग एडिक्शन के कारण ज्यादातर लोग, खासकर बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। उनके हाथ से जरा देर के लिए भी फोन ले लेने पर वे विचलित होने लगते हैं। कई बार खाना-पीना तक छोड देते हैं और इन सबके बीच उनकी पढ़ाई तो डिस्टर्ब होती ही है।
ऐसे करें बचाव
ऐसे बच्चों से जितना अधिक हो सके, मेलजोल बढाएं। इसके लिए विभिन्न अवसरों पर पार्टी आदि का आयोजन करते रहें। अपने परिवार व दोस्तों के लिए समय निकालें।
एकाग्रता बढ़ाने के लिए जरूरी व दिमागी कार्यों के बीच कुछ समय का ब्रेक लेते रहें। हो सके तो इन ब्रेक्स में फोन व लैपटॉप का कम से कम इस्तेमाल करें।
बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप व इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल न करने दें और उन पर नजर भी रखे रहें। अगर तमाम कोशिशों के बावजूद इन डिजिटल गेम्स से दूरी न बन पा रही हो तो किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार की मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं।
कुछ सर्वे से यह बात सामने आई है कि पजल, क्विज, फोटो एडिटिंग एप्स, डेटिंग एप्स, चैटिंग एप्स, शॉपिंग एप्स व मल्टीप्लेयर गेम्स बेहद एडिक्टिव होते हैं।