जानिए स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के बारे में।

जानिए स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के बारे में।

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अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी आखिरी सांस AIIMS अस्पताल में 5:05 PM पर ली (16th August 2018)। 93 वर्षीय बहुमुखी प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने हमे १६ अगस्त 2018 को छोड़ दिया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रधान करे। अटल जी की मृत्यु पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गयी है।

बहु प्रतिभा वान राजनैतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में पिछले 50 सालों से सक्रीय है। अपने राजनैतिक सफ़र में वाजपेयी जी सबसे आदर्शवादी व प्रशंसनीय राजनेता थे। अटल जी जैसा नेता होना पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनके बहुत से कामों की वजह से देश आज इस मुकाम पर है। जवाहरलाल नेहरु के बाद अगर कोई 3 बार प्रधानमंत्री बना है तो वो अटल जी ही है। अटल जी पिछले 5 दशकों से संसद में सक्रीय रहे, साथ ही वे इकलोते राजनेता है जो 4 अलग अलग प्रदेश से सांसद चुने गए। अटल जी भारत की आजादी के पहले से राजनीति में आ गए थे, उन्होंने गाँधी जी के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में भी भाग लिया था, और कई बार जेल यातनाएं भी सही।

अटल की बहुमुखी प्रतिभा के धनी है, वे बहुत अच्छे कवि भी है, जो राजनीति पर भी अपनी कविता और व्यंग्य से सबको आश्चर्यचकित करते रहे है, उनकी बहुत ही रचनाएँ पब्लिश भी हुई है जिन्हें आज भी लोग पढ़ते है। अटल जी को अपनी मातृभाषा हिंदी से भी बेहद प्रेम है, अटल जी पहले राजनेता बने, जिन्होंने यू एन जनरल असेंबली में हिंदी में भाषण दिया था। अटल जी पहली बार सिर्फ 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके 1 साल के बाद वे फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन इस बार भी उनका ये सफ़र एक साल का रहा। तीसरी बार अटल जी जब प्रधानमंत्री बने तब उनका कार्यकाल पूरा 5 साल का रहा और ये सबसे अधिक सफल माना गया।

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु अटल बिहारी जीवन परिचय
1 पूरा नाम अटल बिहारी वाजपेयी
2 जन्म 25 दिसम्बर 1924
3 मृत्यु 16 अगस्त  2018
4 जन्म स्थान ग्वालियर, मध्यप्रदेश
5 माता-पिता कृष्णा देवी, कृष्णा बिहारी वाजपेयी
6 विवाह नहीं हुआ
7 राजनैतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी
8 अवार्ड 1992 – पद्म विभूषण
1994 – लोकमान्य तिलक अवार्ड
1994 – बेस्ट सांसद अवार्ड
1994 – पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
2014 – भारत रत्न

 

अटल बिहारी वाजपेयी बचपन व आरंभिक जीवन (Atal Bihari Vajpayee Personal Life)–

 

अटल जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। अटल जी के 7 भाई बहन थे। उनके पिता कृष्णा बिहारी स्कूल टीचर व कवी थे। स्वरास्ती स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद अटल जी ने लक्ष्मीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया, इसके बाद उन्होंने कानपूर के DAVV कॉलेज से इकोनोमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उन्होंने लखनऊ के लॉ कॉलेज में आगे पढ़ने के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन फिर उनका पढाई में मन नहीं लगा और वे आरएसएस द्वारा पब्लिश मैगजीन में एडिटर का काम करने लगे। अटल जी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवी के रूप में जाना जाता है। अटल जी ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने B N कॉल की 2 बेटियां नमिता और नंदिता को गोद लिया था। अटल जी सच्चे देश भक्त रहे, पढाई करते समय भी वे आजादी की लड़ाई में बड़े बड़े नेताओं के साथ खड़े रहे। वे उस समय बहुत से हिंदी न्यूज़ पेपर के एडिटर भी रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी राजनैतिक सफ़र (Atal Bihari Vajpayee Political Life)–

अटल जी का राजनैतिक सफ़र स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में शुरू हुआ। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में बाकी नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए, इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई। अटल जी ने मुखर्जी जी के साथ राजनीति के दाव पेंच सीखे। मुखर्जी जी का स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा और जल्दी ही उनकी मौत हो गई, इसके बाद अटल जी ने ही भारतीय जनसंघ की बागडौर संभाल ली और इसका विस्तार पुरे देश में किया।

  • 1954 में बलरामपुर से वे मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट चुने गए। जवानी के दिनों में भी अटल जी को अपनी सोच व समझ के कारण राजनीति में काफी आदर व सम्मान मिला।
  • 1968 में दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद अटल जी जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। इसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक नानाजी देसाई, बलराज मध्होक व लाल कृष्ण आडवानी के साथ मिलकर जन संघ पार्टी को भारतीय राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की।
  • 1977 में भारतीय जन संघ पार्टी ने भारतीय लोकदल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसे जनता पार्टी नाम दिया गया। जनता पार्टी ने बहुत जल्दी ग्रोथ की और लोकल चुनाव में उसे सफलता भी मिली, इसके बाद जनता पार्टी के लीडर मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आये तब अटल जी को एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर बनाया गया। इसी के बाद वे चाइना व पाकिस्तान दौरे में गए, जहाँ उन्होंने इस देशों से भारत के संबंध सुधारने का प्रस्ताव रखा।
  • 1979 में जब मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, तब जनता पार्टी भी बिखरने लगी। अटल जी ने 1980 में लाल कृष्ण आडवानी व भैरव सिंह शेखावत के साथ मिल कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाई, और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। अगले पांच सालों तक अटल जी ही पार्टी के अध्यक्ष रहे।
  • 1984 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 2 सीट से हारी, जिसके बाद अटल जी ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जी तोड़ काम किया और पार्लियामेंट के अगले चुनाव 1989 में बीजेपी 88 सीटों की बढ़त के साथ आगे रही।
  • 1991 में विपक्ष की मांग के चलते एक बार फिर पार्लियामेंट में चुनाव हुआ, जिसमें एक बार फिर बीजेपी 120 सीटों के साथ आगे रही।
  • 1993 में अटल जी सांसद में विपक्ष के लीडर बनके बैठे। नवम्बर 1995 में मुंबई में हुई बीजेपी कांफ्रेंस में अटल जी को बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया।

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री बनने का सफ़र –

  • 1996 में हुए चुनाव में बीजेपी एक अकेली सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी थी। मई 1996 में बीजेपी को जीत मिली और अटल जी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया। लेकिन बीजेपी को दूसरी पार्टियों से सपोर्ट नहीं मिला, जिस वजह से बीजेपी सरकार गिर गई और मात्र 13 दिन में अटल जी को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
  • 1996 से 1998 के बीच में 2 बार दूसरी सरकारें बनी लेकिन सपोर्ट ना मिलने से वे भी गिर गई। इसके बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डोमेस्टिक पार्टी (NDA) का गठन किया। बीजेपी फिर सत्ता में आई लेकिन इस बार भी उनकी सरकार 13 महीने की रही, अन्ना द्रविदा मुन्नेत्रा पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस ले लिया था।
  • 1999 में कारगिल में हुई भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारत को मिली विजय ने अटल जी की सरकार को और मजबूत बना दिया। इस जीत से लोग उन्हें एक अच्छे भावी लीडर के रूप में देखने लगे।
  • इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने NDA को फिर से मजबूत किया, और चुनाव में खड़े हुए। कारगिल की जीत से भारतवासी बहुत प्रभावित हुए, और सबने बीजेपी को फिर से जीता दिया, जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
  • बाजपेयी सरकार ने इस बार पुरे 5 साल पुरे किये, और पहली नॉन कांगेस पार्टी बन गई। सभी पार्टीयों के सपोर्ट से अटल जी ने निर्णय लिया कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्राइवेट सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे। अटल जी की मुख्य योजनायें नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रही।
  • अटल जी विदेश में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया व आईटी सेक्टर के प्रति लोगों को जागरूप किया। सन 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आये, इस दौरे का दोनों देश की प्रगति व रिश्ते में बहुत प्रभाव पड़ा।
  • 2001 में अटल जी ने पाकिस्तान के रास्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ को भारत आने का न्योता भेजा। वे चाहते थे भारत पाक के रिश्तों में सुधार हो, आगरा में हुई ये वार्ता आज तक लोगों को याद है। इसके बाद लाहौर के लिए बस भी शुरू हुई जिसमें खुद अटल जी ने सफ़र किया। लेकिन उनकी ये मुहीम सफल नहीं रही, अटल जी की फोरेन पालिसी ने बहुत बदलाव नहीं किया, लेकिन इस बात को जनता ने बहुत सराहा।
  • 2001 में अटल जी ने सर्व शिक्षा अभियान की भी शुरुवात की।
  • आर्थिक सुधार के लिए अटल जी ने बहुत सी योजनायें शुरू की, जिसके बाद 6-7 % ग्रोथ रिकॉर्ड की गई। इसी समय पूरी दुनिया में भारत का नाम जाना जाने लगा।
  • 2004 में कांग्रेस की जीत के साथ अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
  • सन 2005 में अटल जी ने राजनीति से रिटायरमेंट की बात घोषित कर दी। इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने हिस्सा भी नहीं लिया।

बड़े मुख्य काम –

  • सत्ता में आने के जस्ट 1 महीने बाद अटल जी व उनकी सरकार ने मई 1998 में राजिस्थान के पोखरम में 5 अंडरग्राउंड नूक्लियर का सफल टेस्ट करवाए। परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा, जिसकी चर्चा देश विदेश में भी जोरों पर रही।
  • अटल जी द्वारा शुरू किये गए नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP) व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) उनके दिल के बेहद करीब थी, वे इसका काम खुद देखते थे। NHDP के द्वारा उन्होंने देश के चार मुख्य शहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई व कोकत्त्ता को जोड़ने का काम किया। PMGSY के द्वारा पुरे भारत को अच्छी सड़कें मिली, जो छोटे छोटे गांवों को भी शहर से जोड़ती।
  • कारगिल युद्ध व आतंकवादी हमले के दौरान अटल जी द्वारा लिए गए निर्णय, उनकी लीडरशिप व कूटनीति ने सबको प्रभावित किया जिससे उनकी छवि सबके सामने उभर कर आई।

 अटल बिहारी वाजपेयी अवार्ड व अचिवेमेंट्स (Atal Bihari Vajpayee Awards & Achivements)–

  • 1992 में देश के लिए अच्छे कार्य करने के कारण अटल जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • 1994 में उनको बेस्ट सांसद का अवार्ड मिला।
  • 2014 में देश के सर्वोच्य सम्मानभारत रत्न से अटल जी को सम्मानित किया गया।

ये सम्मान उनके जन्म दिन 25 दिसम्बर को रास्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उनके निवास स्थान पर दिया गया। अटल जी के लिए पहली बार किसी राष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल तोड़ कर घर जाकर सम्मान दिया।

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अटल जी को भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह कहते है।
  • अटल जी चार अलग अलग प्रदेशों उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात व दिल्ली से सांसद चुने गए।

अटल जी को संगीत का भी बहुत शौक है, उनके पसंदीदा संगीतकार लता मंगेश्वर, मुकेश व मो रफ़ी है। अटल जी ने आजीवन शादी ना करने की प्रतिज्ञा ली थी, जिस पर वे कायम भी रहे। उनकी गोद ली हुई बेटी नमिता व नंदिता के वे बेहद करीब है, अटल जी अपने सभी रिश्तेदारों से भी बेहद लगाव रखते है।  

93 वर्ष की आयु में हुआ निधन (Death)

  • इस महान राजनेता ने अपने जीवन की अंतिम सांस दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त, 2018 को ली। इनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक इनका निधन निमोनिया और बहु अंग विफलता के कारण हुआ।
  • गौरतलब है कि अटल जी लंबे समय से बीमार थे और साल 2009 में ये स्ट्रोक का भी शिकार हो गए। जिसके कारण इनके सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ा और ये धीरे धीरे डिमेंशिया नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए।

 निधन पर किया राजकीय शौक का ऐलान (Government Announces Seven-Day Mourning)

 भारत रत्न से नवाजे गए अटल जी की मृत्यु पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा पूरे देश में सात दिन राजकीय शोक की घोषणा की गई है और सात दिनों तक  यानी 16 अगस्त 2018  से लेकर 22 अगस्त 2018 तक हमारे देश का झंड़ा आधा झुकाया जायेगा। साथ में ही केंद्र सरकार के कार्यालयों में काम करने वाले लोगों को आधे दिन का अवकाश भी दिया गया, ताकि ये अधिकारी अटल जी को जाकर श्रद्धांजलि दे सकें।

इसके अलावा कई राज्यों की सरकारों ने भी अपने राज्य में राजकीय शोक घोषित किया है और अपने राज्य के सरकारी स्कूलों और दफ्तरों को भी बंद रखा गया,जबकि हिमाचल प्रदेश राज्य की सरकार ने अपने राज्य में 2 दिनों के अवकाश का ऐलान किया है।

अटल बिहारी वाजपेयी जी हिन्दी कविताएं कुछ इस प्रकार हैः-

 

अनुशासन के नाम पर
अनुशासन पर्व
अपने ही मन से कुछ बोलें
अमर आग है
अमर है गणतंत्र
अस्पताल की याद रहेगी
अंतरद्वंद्व
अंधेरा कब जाएगा
आओ फिर से दिया जलाएँ
आओ मन की गांठें खोलें
आओ! मर्दो नामर्द बनो
आए जिस-जिस की हिम्मत हो
आज सिन्धु में ज्वार उठा है
उनकी याद करें
ऊँचाई
एक बरस बीत गया
कण्ठ-कण्ठ में एक राग है
कदम मिलाकर चलना होगा
कवि आज सुना वह गान रे
कार्ड महिमा
कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरन्तर
कौरव कौन, कौन पांडव
गगन मे लहरता है भगवा हमारा
गीत नया गाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
गूंजी हिन्दी विश्व में
घर में दासी
जम्मू की पुकार
जंग न होने देंगे
जीवन की ढलने लगी साँझ
जीवन बीत चला
जेल की सुविधाएँ
झुक नहीं सकते
दूध में दरार पड़ गई
दूर कहीं कोई रोता है
देखो हम बढ़ते ही जाते
धधकता गंगाजल है
धन्य तू विनोबा
धरे गए बंगलौर में
नई गाँठ लगती