प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का कल आधी रात के बाद यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे।
वरिष्ठ पत्रकार के बड़े बेटे सुधीर नय्यर ने बताया कि उनके पिता की मौत कल आधी रात के बाद 12 बजकर 30 मिनट पर एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में हुई।
सुधीर नैयर ने बताया कि वह निमोनिया से पीड़ित थे और 5 दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। नजर ना का अंतिम संस्कार लोधी शवदाह गृह में आज दोपहर 1:00 बजे किया जाएगा। नय्यर को प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले पत्रकार के रूप में जाना जाता है।
बताया जा रहा है कि उन्होंने स्टेट्समैन सहित विभिन्न अखबारों में काम किया है वह 1990 में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रहे हैं और 1997 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया।
देश में लगे आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। नैयर ने भारत और पाकिस्तान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को भी सामान्य करने की लगातार कोशिश की।
उन्होंने अमृतसर के निकट अटारी वाघा सीमा पर कार्यकर्ताओं के उस दल का नेतृत्व भी किया था। जिन्होंने भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर वहां मोमबत्ती जलाई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुलदीप नैयर को आज “बुद्धिजीवी” बताया और कहा कि वरिष्ठ पत्रकार को उनके निर्भीक विचारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वही इस पर आगे बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि वह उनके निधन से काफी दुखी है।
मोदी ने इस बात को लेकर ट्विटर पर भी कहा कि कुलदीप नैयर हमारे समय के बुद्धिजीवी थे। अपने विचारों में स्पष्ट और निर्मित बेहतर भारत बनाने के लिए आपातकाल जनसेवा और प्रतिबद्धता के खिलाफ उनका कड़ा रुख हमेशा याद किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन पर भारी शोक जताया है। उन्होंने पत्रकार के परिवार उनके प्रशंसक और सहकर्मियों के प्रति भारी संवेदनाए भी प्रकट की है।
ममता ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि निडर पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर की मौत से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार प्रशंसक और सहकर्मियों के साथ हैं। “द वीक” मैगजीन के संपादक सच्चिदानंद मूर्ति ने नायर की प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले पत्रकारों के रूप में याद किया।
मूर्ति ने कहा कि उन्होंने राजीव गांधी सरकार द्वारा लाए गए विवादित मानहानि विधेयक का विरोध किया था। भारत में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह सदैव काम करते रहें। नैय्यर ने ‘बियॉन्ड द लाइंस’ एंड ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ बिटवीन द लाइंस’ जैसी प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी।