श्रद्धा कपूर की फिल्म स्त्री बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर रही है। इस हॉरर कॉमेडी फिल्म में श्रद्धा कपूर एक खास किरदार अदा कर रही हैं। श्रद्धा ने अपनी इस फिल्म के बारे में एक न्यूज़ चैनल से हुई खास बातचीत में कई सवालों के जवाब दिए।
स्त्री फिल्म में चुड़ैल बनने को लेकर श्रद्धा कपूर ने कही ये बात
स्त्री फिल्म में चुड़ैल का रोल करने को लेकर श्रद्धा कपूर ने शेयर किए अपने एक्सपीरियंस।
इस फिल्म में एक्टर राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी के साथ काम करने को लेकर एक्ट्रेस साझा किया अपना अनुभव।
बतौर एक्टर राजकुमार राव की अलग छवि है। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
राजकुमार राव की खासियत है कि वे सब जगह फिट होते हैं। फिल्म में वे एक टेलर का किरदार अदा कर रहे हैं। मैं राज और पंकज त्रिपाठी की बहुत बड़ी फैन हूं। वे दोनों ही देश के फाइनेस्ट एक्टर हैं। उनके साथ काम करना बेहतरीन रहा और उनसे काफी कुछ सीखने को भी मिला।
स्त्री फिल्म में एक लड़की को चुड़ैल दिखाया गया। यह महिलाओं को नागवार गुजरेगा?
फिल्म में एक चुड़ैल है। गांव वालों ने जिसका नाम स्त्री रख दिया है। इसमें कहीं भी महिलाओं को अपमानित करने वाली बात नहीं है। सब कुछ हंसाने के लिए है। महिलाओं को बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा।
डॉन हसीना पारकर के बाद स्त्री के किरदार में ढ़लना एक चैलेंज था?
दोनों ही फिल्मों में काफी गैप था। इसलिए वो हसीना जेहन से निकल चुकी थी। मैं उससे बाहर आ गई। स्त्री में मेरा कैरेक्टर बहुत ही अलग है। मैं डराऊंगी या नहीं, यह फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।
आपका पसंदीदा खेल?
अभी तो मुझे बैडमिंटन प्रेरित कर रहा है। क्योंकि मैं सायना नेहवाल पर बायोपिक कर रही हूं। इसके लिए ट्रेनिंग चल रही है, जिम जाती हूं। बैंडमिंटन खेल में सायना ने जो हासिल किया है वह कमाल है। मैं उनकी बोली पर भी ध्यान दे रही हूं। उनकी बोली में हरयाणवी टोन नहीं है, हैदराबाद में ज्यादा समय गुजारने से उनकी बोली में हैदराबाद का टच है।
आप मुंबई जैसे में पली-बढ़ी हैं। स्त्री की शूटिंग चंदेरी जैसे छोटे शहर में हुई। वहां की जिंदगी आपको कैसी लगी?
बहुत कमाल की फीलिंग थी। मैंने बत्ती गुल मीटर चालू के लिए उत्तराखंड के भी एक छोटे से गांव में शूटिंग की है। उसके बारे में बाद में बात करेंगे। लेकिन चंदेरी में जो महसूस किया वो यह कि गांव में सुकून है। मुंबई में तो भाग-दौड़ रहती है।
टाइम की पाबंदी होती है सबको। गांव या छोटे शहर में जो लाइफ है वो बहुत ही बेहतर है, उलझा हुआ नहीं है। वहां के लोग अपनी लाइफ स्टाइल से खुश हैं। जिंदगी जीने का तरीका उनसे सीखने को मिला।