Bharat Ka Gauravshali Itihas : (Part – 3)
llआदि पुरुष:ll
भूतनाथ अष्टकम
शिव शिव शक्ति ना थं संहा रं शं स्वरूपम्
नव नव नि त्यनृत्यं ता ण्डवं तं तन्ना दम्
घन घन घूर्णी मेघम् घंघो रं घं न्नि ना दम्
भज भज भस्मलेपम् भजा मि भूतना थम् ||१||
कळ कळ का ळरूपमं कल्लो ळम् कं करा ळम्
डम डम डमना दं डम्बुरुं डंकना दम्
सम सम शक्तग्रि बम् सर्बभूतं शुरेशम्
भज भज भस्मलेपम भजा मि भूतना थम् ||२||
रम रम रा मभक्तं रमेशं रां रा रा बम्
मम मम मुक्तहस्तम् महेशं मं मधुरम्
बम बम ब्रह्म रूपमं बा मेशं बं बि ना शम
भज भज भस्मलेपम भजा मि भूतना थम् ||३||
हर हर हरि प्रि यं त्रि ता पं हं संहा रम्
खम खम क्षमा शी ळं सपा पं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्या न मूर्त्ति म् सगुणं धं धा रणम्
भज भज भस्मलेपम भजा मि भूतना थम् ||४||
पम पम पा पना शं प्रज्वलं पं प्रका शम्
गम गम गुह्यतत्त्वं गि रि षं गं गणा ना म्
दम दम दा नहस्तं धुन्दरं दं दा रुणं
भज भज भस्मलेपम भजा मि भूतना थम् ||५||
गम गम गी तना थं दूर्गमं गं गंतब्यम्
टम टम रूंडमा ळम् टंका रम् टंकना दम्
भम भम भ्रम् भ्रमरम् भैरवम् क्षेत्रपा ळम्
भज भज भस्मलेपम भजा मि भूतना थम् ||६||
त्रि शुळधा री संघा रका री गि रि जा ना थम् ईश्वरम्
पा र्वती पति त्वम् मा या पति शुभ्रवर्णम् महेश्वरम्
कैळा शना थ सति प्रा णना थ महा का लं का लेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शी रकि री टम् भूतना थं शि बम् भजे ||७||
नी लकंठा य सत्स्वरूपा य सदा शि वा य नमो नमः
यक्षरूपा य जटा धरा य ना गदेवा य नमो नमः
इंद्रहा रा य त्रि लो चना य गंगा धरा य नमो नमः
अर्धचंद्रम् शी रकि री टम् भूतना थं शि बम् भजे ||८||
तब कृपा कृष्णदा सः भजति भूतना थम्
तब कृपा कृष्णदा सः स्मरति भूतना थम्
तब कृपा कृष्णदा सः पश्यति भूतना थम्
तब कृपा कृष्णदा सः पि बति भूतना थम् ||०||
|| अथ कृष्णदा सः वि रचि त भूतना थ अष्टकम् यः
पठति नि स्का मभा बेन सः शि वलो कं सगच्छति ||