स्टेशनों पर बायोमीट्रिक आधारित फेयर कलेक्शन गेट लगेंगे। इसके बाद सिर्फ अंगुली पंच कर यात्री सफर कर सकेंगे। मेट्रो से आवागमन के लिए टोकन या स्मार्ट कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जल्द ही मेट्रो में स्मार्ट कार्ड या टोकन के बिना भी सफर कर सकेंगे। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) किराया भुगतान को अधिक आसान बनाने, टोकन खरीदने व स्मार्ट कार्ड रिचार्ज कराने की झंझट से छुटकारा दिलाने के लिए मेट्रो स्टेशनों पर बायोमीट्रिक आधारित फेयर कलेक्शन गेट लगाने की तैयारी कर रहा है।
इसके बाद सिर्फ अंगुली पंच कर यात्री मेट्रो में सफर कर सकेंगे। यात्रियों को मेट्रो से आवागमन के लिए टोकन या स्मार्ट कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीएमआरसी ने योजना की पुष्टि करते हुए अधिक जानकारी देने से इनकार किया है।
डीएमआरसी की योजना के अनुसार, 14.51 करोड़ की लागत से मेट्रो स्टेशनों पर बायोमीट्रिक आधारित फेयर कलेक्शन गेट लगाए जाएंगे। इसकी डिजाइन तैयार करने व गेट लगाने के लिए एजेंसियों की तलाश शुरू कर दी गई है। ये गेट लगने के बाद अंगुलियों से पंच कर, टोकन और स्मार्ट कार्ड तीनों से किराया भुगतान की सुविधा होगी।
मौजूदा समय में दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क करीब 327 किलोमीटर हैं और 236 मेट्रो स्टेशन हैं। सभी स्टेशनों पर ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) गेट लगाए गए हैं। यात्री टोकन व स्मार्ट कार्ड से किराया भुगतान कर मेट्रो में सफर कर पाते हैं।
साथ ही दिल्ली मेट्रो के एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर मोबाइल (स्मार्ट फोन) से भी किराया भुगतान की सुविधा है। आने वाले दिनों में बायोमीट्रिक सिस्टम से किराया भुगतान का नया विकल्प मिलेगा।
असल में बायोमीट्रिक फेयर कलेक्शन सिस्टम में फिंगर पिंट्र सेंसर लगे होंगे। इसमें यात्रियों को फिंगर पिंट्र पंजीकृत करना होगा। स्टेशन पर प्रवेश व बाहर निकलने पर अंगुली पंच करना पड़ेगा।
स्टेशन से बाहर निकलते वक्त अंगुली पंच करते ही आधार कार्ड से जुड़े बैंक अकाउंट से किराया कट जाएगा। अकाउंट में पैसा कम होने पर यात्री को नकद भुगतान या क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान करना पड़ सकता है।
मेट्रो में प्रतिदिन करीब 28 से 30 लाख यात्री सफर करते हैं। इनमें से 70 फीसद यात्री स्मार्ट कार्ड व 30 फीसद यात्री टोकन का इस्तेमाल करते हैं। फिर भी कई स्टेशनों पर टोकन के लिए लंबी लाइन देखी जाती है।
वैसे तो स्मार्ट कार्ड ऑनलाइन रिचार्ज कराने की सुविधा है, फिर भी कई स्टेशनों पर स्मार्ट कार्ड रिचार्ज कराने में यात्रियों को 10 से 15 मिनट समय लग जाता है।
2022 तक इसके 400 किलोमीटर से अधिक विस्तार होगा मेट्रो का
मेट्रो का विस्तार जिस गति से चल रहा है। ऐसे में जाहिर है दिल्ली मेट्रो शंघाई और बीजिंग के बाद दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क में से एक होगी। उम्मीद की जा रही है कि यह लंदन अंडरग्राउंड को भी ओवरशेड करेगी।
तीन चरणों में इसके निर्माण के दौरान, मेट्रो ने शहर और उसके उपनगरों के 317 किमी में अपना नेटवर्क फैलाया है। अगले वर्ष तक फेज- 3 का विस्तार होने तक, यह 349 किलोमीटर तक विस्तारित हो जाएगी और फेज- 4 के साथ, जिसे अभी हरी झंडी दी गई है 2022 तक इसके 400 किलोमीटर तक विस्तार होने की उम्मीद है। इसके साथ भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश होगा, जहां मेट्रो रेल नेटवर्क सबसे ज्यादा होगा। सिर्फ दो देश ही उससे आगे होंगे।
दिल्ली मेट्रो 3 मई, 1995 को चर्चा में आई थी और तब से लगातार इस पर काम हो रहा है। दो दशक यानी 23 वर्षों के दौरान दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने 300 किलोमीटर से अधिक लंबा नेटवर्क स्थापित कर लिया है।
इन रूटों पर रोजाना लगभग 30 लाख लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है। दिल्ली मेट्रो ने 24 दिसंबर 2002 को 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा–तीसहजारी कॉरीडोर पर रफ्तार भरी थी।
फेज वन के पहले कॉरीडोर में महज छह स्टेशन थे। फिर चार साल बाद 11 नवंबर, 2006 में पहले फेज के अंतिम कॉरीडोर (बाराखंभा से इंद्रप्रस्थ) के बीच मेट्रो ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ। इस दौरान 65.1 किलोमीटर के दायरे में 59 मेट्रो स्टेशन के जरिए लोगों को विश्वस्तरीय आवागमन का साधन उपलब्ध कराया गया।
डीएमआरसी के फेज दो की शुरुआत 3 जून 2008 को हुई, जो 27 अगस्त 2011 में पूरा हुआ। इस फेज में 125.07 किलोमीटर में मेट्रो का विस्तार कर 82 स्टेशनों का निर्माण किया गया।
लाल, पीला, नीला, बैंगनी, नारंगी, हरा, मैजेंटा और गुलाबी। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह की मानें तो दिल्ली मेट्रो के फेज-1, फेज-2 और फेज-3 को तैयार में आई चुनौतियों से डीएमआरसी ने जो अनुभव हासिल किया है।
उसका प्रयोग मेट्रो के फेज-4 को बनाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के औपचारिकताएं पूरी करने के साथ ही डीएमआरसी इसका निर्माण शुरू कर सकती है।